अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार मानव हमारी जाति है, मानवता है धर्म हमारा| धर्म और ईश्वर के नाम पर जाति-संप्रदाय बनाकर विश्व मानव परिवार को विभाजित करने वाला, मानव जगत के लोगो के बीच नफरते पैदा करने वाला इन्सान सिर्फ इन्सान का ही नही ईश्वर का भी सबसे बड़ा दुश्मन है|
सृष्टि के सभी देवी-देवता व मनुष्य निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है, इतना ही नहीं सृष्टि के सभी जीव-जीवात्मा एक ही परब्रह्म के अनेक मायावी रूप है| अतः सृष्टि के सभी जीव-जीवात्माओ को हम एक ही परम माता-पिता परमात्मा परब्रह्म की संतान कह सकते है| हम सब एक है सबका स्वामी एक|
जब हम सबका जन्मदाता-पालनहार एक है, सभी जीव-जीवात्मा एक ही वायुमंडल में श्वांस लेते है, एक ही प्रकृति का दिया खाते-पिते है, फिर भी आपस में भेदभाव क्यों? कर्मभूमि पर मानव जीवन सार्थक बनाना है तो मानव-मात्र को देह भाव को त्यागकर अपने सत्य विराट आत्मस्वरूप को जानना होगा, विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनना होगा| कर्मभूमि पर मै से मुक्त हो जाना ही मानव को जन्म-मरण से मुक्ति प्रदान कर सतलोक में शाश्वत सुख प्रदान कराता है| इसी क्रिया को मोक्ष प्राप्ति कहा गया है| आत्मज्ञानी बनो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओ|