"जय कल्कि ज्ञान का सागर,
ज्ञान की द्वारिका, माही सागर "
कल्कि साधक विश्व धर्म रक्षक कैलाश मोहन
बाइबल और गीता समेत अनेक धर्म ग्रंथो एव विश्व विख्यात भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस् मावजी महाराज समेत विश्व के अनेक भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी के अनुसार धरती पर धर्म और ईश्वर को जाति, पंत, संत, संप्रदाय, अनेक प्रकार के धर्म ग्रंथ और धार्मिक स्थलों से मुक्त कराने के लिए युग परिवर्तन की संधीवेला संगमयुग में कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए भारत की पावन भूमि पर वीरो की भूमि राजस्थान प्रांत के आध्यात्मिक वागड़ अंचल की धर्म नगरी बाँसवाड़ा शहर में 31 दिसम्बर 2016 शनिवार रात्रि 12 बजे परम ज्ञानेश्वर परम गुरुवर परम ब्रह्म का निष्कलंक निराकार कल्कि अवतार के रूप में ज्ञान स्वरुप भव्य अवतरण एवं सर्वधर्म प्रेमी लहेरी आश्रम के संत सुमेर सिंह जी के सानिध्य में सर्वधर्म समाज के हजारो भक्तो के साथ कल्कि विश्व धर्म रक्षक कैलाश मोहन एवं विश्व गौ रक्षक मोहम्मद फैज़ खान द्वारा जाति पंत संत संप्रदाय धर्म ग्रंथ और धार्मिक स्थल रहित कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना |
मैं ही अल्लाह मैं ही ईश्वर, मैं ही राम रहीम हूं,
मैं ही ईसा मैं ही मोहम्मद, मैं ही कृष्ण कबीर हूं |
मैं ही हूं बुद्ध मैं ही महावीर, मैं ही सतगुरू गोविन्द हूं,
मैं ही हूं हर दिल की धड़कन, मैं ही सभी में आत्मस्वरूप हूँ |
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक परम ब्रहम ही परम सत्य है जो अजन्मा गुण दोष रहित अजर अमर अविनाशी है, उसे विदित किये बिना मनुष्यों के लिए इस संसार से मुक्ति का और कोई उपाय नहीं है| धरती पर निराकार परम ब्रहम का ना तो कभी जन्म हुआ है और नाहीं कभी होगा, उसका जनम मरण नहीं किसी निष्काम कर्मयोगी मनुष्य के ह्रदय में ज्ञान स्वरूप भव्य अवतरण होता है, इसे परकाय प्रवेश भी कहते हैं| आज के विकास के युग में मानव जगत को अल्लाह ईश्वर के नाम की नहीं कर्म करने के ज्ञान की जरुरत हैं, मनुष्य जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है| अतः कल्कि ज्ञान सागर सम्पूर्ण मानव जगत को कर्म करने का ज्ञान प्रदान कराते हुए निराकार को अनेक नामो से आजाद कराने के लिए परम ब्रहम के सत्य स्वरुप से भी अवगत करा देगा| कर्मभूमि पर कोई भी मनुष्य निष्कामकर्मी बनकर राम, रहीम, ईसा, गुरुनानक, बुद्ध, महावीर, मोहम्मद, कृष्ण, कबीर, की तरह आध्यात्मिक ज्ञान की प्रभावना करते हुए अकर्मी बनकर अपना आत्म कल्याण कर सकता हैं| युगों युगों से कर्मभूमि पर एक निराकार परम ब्रहम ही अवतरित होकर मानव जगत को कर्म करने का ज्ञान देते आए हैं | युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में कल्कि ज्ञान सागर कर्मभूमि पर अजर अमर अविनाशी सतयुगी दुनिया का सृजन कर युग परिवर्तन को भी रोक देगा| निराकार स्वयं कभी साकार प्रकट नहीं होते इसी बात को सिद्ध करने के लिए आज के विकास के युग में निराकार परम ब्रहम एक नास्तिक अज्ञानी घर गृहस्थी वाले साधारण इन्सान के जीवन दर्पण में कल्कि ज्ञान सागर के रूप में प्रकट होकर सम्पूर्ण मानव जगत को धर्म और ईश्वर के नाम पर जाति पंत संत संप्रदाय अनेक प्रकार के धर्म ग्रन्थ और धार्मिक स्थलों से मुक्त कराने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान की प्रभावना भी अनेक हाथो से निराकार नेट के माध्यम से करवा रहे हैं| जिससे सम्पूर्ण मानव जगत अपने ही भीतर विधमान निराकार अपने परम गुरुवर परम ब्रहम को जानकर अपने अमूल्य मानव जीवन को सार्थक बना सके |
"जय कल्कि ज्ञान का सागर,
ज्ञान की द्वारिका, माही सागर "
कल्कि साधक विश्व धर्म रक्षक कैलाश मोहन
दोस्तों मैं विश्व धर्म रक्षक कैलाश मोहन आप की तरह ही एक घर गृहस्थी वाला साधारण इन्सान हूं और मै अपने मानव जगत के लोगो के बीच अपनी अन्तरप्रेणा से ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्रभावना कर रहा हूं , ना तो मेरा कोई धर्म गुरु है और नाहीं मैंने किसी धर्म ग्रन्थ से ज्ञान अर्जित किया हैं | मै जन्म से ही नास्तिक था और मेरे जीवन में एक बार ऐसा दर्दनाक हादसा घटित हो जाता है की मौत मेरे करीब होती है और मैं अपने जीवन की आखरी श्वांसे गिन रहा होता हूं| तभी मेरे जीवन में अचानक चमत्कार होता है और मुझे एक संत के आशीर्वाद से नया जीवन मिल जाता है इसी के साथ मै नास्तिक से आस्तिक बन जाता हूं| नास्तिक से आस्तिक बन जाने के बाद मेरे ह्रदय में मानव सेवा के भाव जागृत होते है और मै अहिंसा परमोधर्म मानव सेवा संस्थान की स्थापना कर मानव सेवा के साथ साथ मानव जगत को सत्कर्म और सेवा रुपी मानव धर्म का सन्देश देने लगता हूं| सत्कर्म और सेवा रुपी मानव धर्म के पथ पर चलते हुए मुझे अपने ही भीतर दिव्य शक्ति का अहसास होने लगता है और मै मानव जगत को ईश्वर और धर्म की सत्य परिभाषा समझाते हुए सत्कर्म करने का ज्ञान देने लगता हूं| दोस्तों मै अपने जीवन संघर्ष के पथ पर नदी की तरह बहते बहते एक दिन सागर में जा मिलता हूं और सागर में मिल जाने के बाद मेरा अपना अस्तित्व समाप्त हो जाता है और मै जन कल्याण की भावना दिल में लिए अपने मानव जगत के बीच कल्कि ज्ञान सागर के रूप में आता हूं| मोहन हूं मै मोह माया से तुम्हें बचाने आया हूं धरती के हर मानव को मै महान बनाने आया हूं| याद रहे मै कोई अवतारी महापुरुष या भगवान नहीं हूं मै सम्पूर्ण मानव जगत को ईश्वर और अवतारवाद से आजाद कराने आया हूं मुझमें जो परम महाशक्ति ज्ञान स्वरुप विधमान है वो धरती के हर इंसान के ह्रदय में विधमान है मैंने उसे जान लिया है और मेरी तरह हर इंसान उसे जान सकता है| आओ आप और हम मिलकर कलयुग को सतयुग में परिणित करते हुए सतयुगी दुनिया का निर्माण कर अपनी धरती माता को महाविनाश से बचाकर स्वर्ग बनाते है|