21वी सदी ज्ञान, विज्ञान व विकास का युग है, जिसे हम युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग भी कह सकते है| क्योंकि कर्मभूमि पर तीव्र गति से विकास होना, मानव जगत के रहन-सहन, खान-पान, यातायात के साधनों में परिवर्तन, नेट, मोबाईल, कम्प्यूटर के माध्यम से कुछ ही पल में दुनिया के किसी भी कौने में निवास करने वाले इन्सान से संपर्क हो जाना, ये सब तीव्र गति से होने वाले वो विकास है जो युग परिवर्तन का संकेत दे रहे है|
आज मानव चेतना की जो मिसाल कायम हो रही है, उसको देखते हुए मानव जगत के लोगों के मन-मस्तिष्क में सबसे पहले सबसे बड़े जिस बदलाव की जरुरत है, वो है मानव की धार्मिक सोच में बदलाव| आज के मानव को कर्मभूमि पर अपना मानव जीवन सार्थक बनाने के लिए, सृष्टि की महामाया को पराजित कर अपना आत्मकल्याण करने के लिए, ईश्वर और अवतारवाद की धारणाओं से मुक्त होने के लिए, स्वयं के विराट आत्मस्वरूप को जानना जरुरी है| स्वयं के सत्य विराट आत्मस्वरूप को जानने के लिए मानव-मात्र को अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञान को जानना अत्यंत आवश्यक है| कर्मभूमि पर जिसने आत्मा को जाना उसने सब कुछ जान लिया| आत्मज्ञानी बनो आपना मानव जीवन सार्थक बनाओ|