कर्मभूमि के आध्यात्मिक खंड भारत की पावन भूमि पर वीरो की भूमि राजस्थान प्रान्त में वाग्वरांचल व लोढ़ी काशी के नाम से विख्यात धर्म नगरी बांसवाडा शहर में कल्कि विश्व शांति अहिंसा भवन व कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना |
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिभर्वति भारत,
अभ्युत्थानाम धर्मस्य तदात्मानम सृजाम्यहम,
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम,
धर्म संस्थापनार्थाय संभवामी युगे यूगे|
कर्मभूमि को बनकर अरबों वर्ष बीत गये और कर्मभूमि पर मानव का जन्म होकर भी लाखों वर्ष बीत चुके है, तब से अब तक कर्मभूमि पर धर्म के प्रति ग्लानि होकर बार-बार महाविनाश होते आये है, किन्तु आज तक मानव यह नही समझ पाया कि कर्मभूमि पर बार-बार महाविनाश होते क्यों है? ज्ञात रहे कर्मभूमि पर मानव जीवन कर्म प्रधान है और मानव जगत के कर्मो के अनुसार सृष्टि में वृष्टि होती है और पाप का बोझ बढ़ जाने से महाविनाश होता है | महाविनाश के बाद परमात्मा सगुण परब्रह्म द्वारा पुनः सृष्टि का नवीन सृजन किया जाता है | ज्ञात रहे कर्मभूमि पर पाप का बोझ बढ़ने के बाद कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए युग परिवर्तन की संधिवेला का समय आता है, जिसे संगमयुग भी कहते है |
इस समय हमारी कर्मभूमि पर पाप का बोझ अत्यधिक बढ़ चूका है जिसके कारण कर्मभूमि पर भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाए, कोरोना जैसी महामारी, विकसित देशो का आपस में लड़ना व तीसरे विश्व युद्ध की संभावनाए बढ़ना मानव जगत को प्रकृति महाविनाश का संकेत दे रही है | ज्ञात रहे सम्पूर्ण मानव जगत के सत्कर्म ही कर्मभूमि को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बना सकते है | अतः अपनी कर्मभूमि को महाविनाश से बचाने के लिए कर्मभूमि के आध्यात्मिक खंड भारत को विकसित और विकासशील देशों को अपने साथ लेकर विश्व धर्म शासन की स्थापना करनी होगी, सम्पूर्ण कर्मभूमि पर देश-विदेश की सीमाओ को मिटाकर कर्मभूमि पर जन्म लेने वाले सभी कर्मयोगियों को विश्व नागरिकता प्रदान करानी होगी | तभी हम अपनी कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन कर अपनी कर्मभूमि को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बना सकते है |
बाइबल और गीता समेत अनेक धर्म ग्रंथो एवं विश्व विख्यात भविष्यवक्ता मावजी महाराज और नास्त्रेदमस समेत विश्व के अनेक भाविष्यवक्ताओं की भविष्ववाणी के अनुसार धरती पर धर्म और ईश्वर को अनेक प्रकार के जाति, धर्म-संप्रदाय, धर्म ग्रन्थ और धार्मिक स्थलों से मुक्त कराने के लिए, विश्व में शांति स्थापित करने के लिए भारत की पावन भूमि पर वीरो की भूमि राजस्थान प्रान्त के आध्यात्मिक वाग्वरांचल व लोढ़ी काशी के नाम से विख्यात धर्म नगरी बांसवाडा शहर में कल्कि विश्व शांति अहिंसा भवन एवं कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना हो चुकी है| अहिंसा परमोधर्म यतोधर्मस्ततो जय | जहाँ अहिंसा है वहां धर्म की विजय है, सत्कर्मी निष्काम कर्मयोगी बनो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं | जय अहिंसा, ॐ विश्व शांति , सत्यमेव जयते |