राम, रहीम, ईसा, गुरुनानक, लेते है हम सबका नाम,
हिंदु ,मुस्लिम, सिख, ईसाई, जन जन को देंगे पैगाम|
जाति, धर्म-संप्रदाय के नाम पर, अब देश और न हो बदनाम,
हम सबका स्वामी एक है, जो चाहो ले लो उसका नाम||
अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक परमब्रह्म ही परम सत्य है, उसे विदित किए बिना इस संसार से मानव के लिए मृत्युलोक से मुक्ति का और कोई उपाय नहीं है| आज तक कोई संत, महंत, महात्मा, धर्मगुरु मानव जगत को अद्भुत रहस्यमय ज्ञान की बात नहीं बता पाए, वो बात मैं कल्कि साधक प्रभु कृपा से सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को बताने जा रहा हूँ| ईश्वर एक है उसके दो स्वरूप दो चरित्र है, ज्ञात रहे निराकार के भी दो निराकार स्वरूप है, प्रथम निर्गुण आत्मस्वरूप में जो परमसत्य, अनादी, अजन्मा, अजर-अमर, अविनाशी, निष्कलंक, निराकार है उसे कल्कि ज्ञान सागर में परमब्रह्म माना गया है| उसी निर्गुण परमब्रह्म का दूसरा सगुण जीवात्मस्वरूप सत-असत व परिवर्तनशील है उसे कल्कि ज्ञान सागर में परब्रह्म माना गया है| ईश्वर दोनों स्वरूप में निराकार है इसलिए मानव भौतिक दृष्टि से ईश्वर के निर्गुण व सगुण स्वरूप को नहीं देख सकता|
अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार सत-असत के रहस्यमय खेल में सभी देवी-देवता और मानव इस रहस्यमय खेल के पात्र बने हुए है| देवलोक से कर्मभूमि पर मनुष्यरूपी जीवात्मा का अवतरण सगुण जीवात्मस्वरूप को त्यागकर, सृष्टि की महामाया को पराजित कर, विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनकर मैं से मुक्त हो गया, उसे कर्मभूमि पर जन्म-मरण से मुक्ति मिल जाती है| कर्मभूमि पर जिस कर्मयोगी ने प्रभु से प्रकट हुई सगुण महामाया को जान लिया, स्वयं व ईश्वर के सत्यस्वरूप को जान लिया, जिसने स्वयं के भीतर निर्गुण आत्मा व सगुण जीवात्मा के भेद को जान लिया, कर्मभूमि पर उस कर्मयोगी का मानव जीवन सार्थक हो गया|
ज्ञात रहे हमारी धरती को बनकर आज अरबो वर्ष बीत चुके है और कर्मभूमि पर वर्तमान मानव प्रजाति का जन्म होकर भी लाखों वर्ष बीत चुके है, किन्तु मानव जगत का वर्तमान कलेंडर आज भी 2023 वर्ष की गणना कर रहा है और कर्मभूमि पर पाप का बोझ बढ़ने से फिर से महाविनाश की संभावनाएं नजर आ रही है, क्योंकि मानव जगत ने आज तक स्वयं व निराकार के सत्यस्वरूप को नहीं जानकर अपने परम माता-पिता परमात्मा परब्रह्म को भगवान मान लिया और स्वयं के भीतर हृदयस्त विधमान अपने परम गुरुवर को अल्लाह, ईश्वर, प्रभु, परमेश्वर, खुदा, गॉड मान लिया| मानव जगत की इसी भूल के कारण आज तक हमारी कर्मभूमि पर बार बार धर्म के प्रति ग्लानि बढ़कर महाविनाश होते आए है| ज्ञात रहे मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है मानव व ईश्वर एक ही सिक्के के दो पहलु है|
वर्तमान समय युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय चल रहा है| युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए निष्कलंक, निराकार, निर्गुण परमब्रह्म का कर्मभूमि पर पूर्ण प्रमाण के साथ कल्कि ज्ञान सागर स्वरूप भव्य अवतरण हो चुका है|
युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में निर्गुण परमब्रह्म सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को ईश्वर व मानव का सत्यस्वरूप बताकर, ईश्वर व अवतारवाद की धारणाओं से मुक्त कराने वाले है| धर्म के नाम पर बने जाति-संप्रदायवाद के भेद को मिटाकर कर सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म को अनेक प्रकार की रूढिवादीयों से मुक्त कराने वाले है| कर्मभूमि पर कलयुग का नाश कर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के बाद कर्मभूमि को अविनाशी स्वर्ग बनाकर भविष्य में हमेशा के लिए युग परिवर्तन को रोकने वाले है| अतः मानव जगत के लोगों को कल्कि ज्ञान सागर के संदेशानुसार सत्यवादी बनकर सत्य का साथ देना होगा| मानव जगत के सत्कर्म ही कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन कर सकते है, ईश्वर नहीं| अतः सत्कर्मी बनो सुखी रहो | जय अहिंसा, ॐ विश्व शांति , सत्यमेव जयते |