आज कर्मभूमि पर लाखो धार्मिक स्थल है, करोडो साधू-संत धर्म की प्रभावना के नाम पर मानव जगत के बीच विचरण कर रहे है और धर्म ग्रंथों की भी कोई कमी नही है, फिर भी धरती पर पाप का बोझ निरंतर बढ़ता जा रहा है| सच्चा संत तो उसी को कहते है जो रुखी-सुखी खाता है, जमींन पर सोता है, निष्काम कर्मयोगी बनकर अपना जीवनयापन करता है, किन्तु कालदोष के कारण कर्मभूमि पर विचरण करने वाले कई तथाकथित साधू-संत माया प्रेमी बनकर कामवासनाओ में लिप्त रहने लगे है, इसलिए धरती पर निरंतर पाप का बोझ बढ़ने लगा है|
आज के विकास के युग में मायावी साधू-संतो को छोड़कर, कल्कि ज्ञान सागर से ईश्वरीय ज्ञान ग्रहण करो, आत्मज्ञानी व आत्मस्वरूप बनकर अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं| कर्मभूमि पर सम्पूर्ण मानव जगत के लोग निष्काम कर्मयोगी बन जाये, तो अपनी कर्मभूमि को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बना सकते है| मानव सम्पूर्ण ब्रह्मांड का स्वामी बनकर अनेक ग्रहों पर नई दुनिया बसा सकता है|
अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के ज्ञान के आभाव में मानव जगत के लोगों ने अज्ञानतावश कर्मभूमि पर देश-विदेश की सीमाएं बनाकर, विनाशकारी हथियार बनाकर स्वयं को मिट्टी में मिलाने की तैयारी कर ली है| मानव जगत आज जो पैसा हथियारों पर खर्च कर रहा है, उसी पैसो से विकास के माध्यम से अनेक ग्रहों पर अपनी नई दुनिया बसा सकता है|
कर्मभूमि पर मानव तन एक चलता-फिरता धार्मिक स्थल है, जिसके भीतर विशाल ईश्वरीय वैभव विधमान है| आज सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो को आत्मज्ञानी बनकर विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनने की जरुरत है| मानव जगत के सत्कर्म ही कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन कर अपना मानव जीवन सार्थक बना सकते है| सत्कर्मी बनो सुखी रहो, ईश्वरीय कार्य में सहभागी बनकर पूण्यार्जन करने के लिए KALKI GYAN SAGAR एप डाउनलोड करे और कराये|