अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है, परमात्मा परब्रह्म की सर्वश्रेष्ठ कृति, सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, मानव के भीतर ईश्वर निर्गुण आत्मस्वरुपता व सगुण जीवात्मास्वरुपता में विद्यमान है| कर्मभूमि पर जिस कर्मयोगी ने रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञान को जाना लिया| कर्मभूमि पर उस कमयोगी का मानव जीवन सार्थक हो गया|
ईश्वर एक है उसके दो स्वरूप दो चरित्र है जो दिव्य महाशक्ति निर्गुण आत्मस्वरूप में एक है, उसने ही सृष्टि के विस्तार के लिए सगुण परब्रह्म जीवात्मस्वरूप में अनेक जीव-जीवात्माओ के रूप धारण किये हुए है| सगुण परब्रह्म ही सृष्टि का छोटे से छोटा जीव व सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानव बनकर सृष्टि को चला रहा है| ईश्वर सगुण स्वरूप में अनेक प्रकार के जीव-जीवात्माओं के रूप में स्वयं कर्ता, भरता, हरता बना हुआ है|
सृष्टि में मानव तन तीन लोको का संगम स्थल है, मानव तन कर्मभूमि वासी है, मनुष्य रूपी जीवात्मा देवलोकवासी है एवं आत्मा सतलोकवासी है, इस प्रकार मानव का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है| आत्मज्ञानी बनो अपने विराट आत्मस्वरूप व ईश्वर द्वारा रचित अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन की रहस्यमय लीला को जानो, असत्य सगुण जीवात्मस्वरूप का त्यागकर, अपना आत्मकल्याण कर अपना मानव जीवन सार्थक बनाओ|