अहिंसा परमोधर्म मानव सेवा संस्थान परिवार एवं मैं कल्कि साधक विश्व धर्म रक्षक कैलाश मोहन कर्मभूमि पर सभी धर्म सम्प्रदाय, सभी धर्म गुरुओं का एवं सभी ईश्वर प्रेमी, धर्म प्रेमी कर्मयोगियों का, मानव-मात्र की धार्मिक आस्था का तहेदिल से सम्मान करते है| हमारा मकसद किसी भी धर्म संप्रदाय के कर्मयोगी के दिल को ठेस पहुँचाना नहीं है|
इस समय कर्मभूमि पर युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय चल रहा है, कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, कर्मभूमि को अविनाशी स्वर्ग बनाने के लिए मै कल्कि साधक कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से ईश्वरीय सन्देश निष्काम भावना से सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के बीच अपनी अंतःप्रेरणानुसार पहुँचाने का कार्य कर रहा हूँ| सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों से अपने विश्व मानव परिवार के भाई-बहनों से मेरा करबद्ध निवेदन है, ईश्वरीय ज्ञान को ग्रहण कर अपना मानव जीवन सार्थक बनायें|
दोस्तों ज्ञान-विज्ञान, शक्ति स्वरूप एक भव्य आत्मा को विज्ञान ने उर्जा माना, वेदों में उसे ब्रह्म माना गया, उस अजन्मे निष्कलंक निराकार दिव्य महाशक्ति को हम चेतन भी कह सकते है| जो चेतन है वो जड़ में नहीं चेतन में ही निवास करता है| प्रकृति के पंचतत्वों से बने मानव-मात्र के भीतर आत्मस्वरुपता में विशाल ईश्वरीय वैभव विद्यमान है|
मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है, सगुण परमात्मा परब्रह्म की सर्वश्रेष्ठ कृति सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है| 21वी सदी में मानव चेतना की जो मिसाल कायम हो रही है, उसे देखते हुए मानव के मन मस्तिक में सबसे पहले सबसे बड़े जिस बदलाव की जरुरत है वो है मानव के मन मस्तिष्क में धार्मिक सोच में बदलाव|
आज का मानव धर्म के नाम पर करोडो रुपैया धार्मिक स्थलों व रुढ़िवादीवादी धार्मिक परम्पराओं पर खर्च कर रहा है, अगर वही पैसा मानव सेवा में लगा दिया जाय तो धरती स्वर्ग बन जायेगी| मानव को असत्य रुढ़िवादीवादी धार्मिक परम्पराओं को त्यागकर कर्मभूमि पर जिन्दा जीवो की सेवा करना चाहिए| चेतन स्वयं के द्वारा सृजन किये गये मानव तन के भीतर आत्मस्वरूपता में निवास करता है, मानव निर्मित पाषाण की जड़ मूरत में नहीं| मानव के सत्कर्म ही ईश्वर की सच्ची पूजा है| सत्यवादी बनो सुखी रहो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं|