माया कलेंडर की 21 दिसम्बर 2012 की भविष्यवाणी को समझने में माया सभ्यता के विद्वानों ने कर दी बड़ी भूल…

ईश्वर समय-समय पर किसी न किसी निष्काम कर्मयोगी को निमित्त बनाकर कर्मभूमि पर मानव जगत को भविष्य के बारे में संकेत देता रहता है| कई बड़े-बड़े विद्वानों की भविष्यवाणीयां साकार होते भी देखी गई है| इसी क्रम में माया कलेंडर में 21 दिसम्बर 2012 को कर्मभूमि पर महाप्रलय होने की घोषणा की गई थी, किन्तु ऐसा कुछ हुआ नहीं, क्योंकि विद्वानों ने माया कलेंडर की भविष्यवाणी को समझने में बड़ी भूल कर दी थी|

21 दिसम्बर 2012 के बाद विद्वानों ने माया कलेंडर की भविष्यवाणी पर पुनः चिंतन करने के बाद अपनी भूल को सुधारते हुए बताया कि माया कलेंडर की भविष्यवाणी का भावार्थ समझने में बड़ी भूल हो गई| भविष्यवाणी का मतलब समय चक्र से था, माया कलेंडर समय के पांच चक्रों पर आधारी है और प्रत्येक की अवधि 5125 वर्ष  की होती है इसका पूरा होना मतलब एक युग समाप्त होता है| इसका मतलब युग परिवर्तन की संधि वेला से है जिसे संगम युग काहते है संगम्युग में मानव जगत के मन-मस्तिष्क में तामसिक प्रवृतियों का नाश करने के लिए, धरती पर पाप का बोझ मिटाने के लिए ईश्वर का अवतरण होता है|

ज्ञात रहे संगमयुग एक ऐसा समय है, जो मानव जगत को कलयुग से निकाल कर सतयुग में प्रवेश दिलाता है| सनातन धर्म के अनुयाई भी ज़्यादातर  4 युगो के बारे मे ही जानते है संगमयुग के बारे में कम लोग ही जानते है, यह एक ऐसा समय है जो 5000 हजार वर्ष में एक बार आता है, इसे इस्लाम में फैसले की घड़ी कहते है| माया कलेंडर में भी कुछ इसी तरह की मान्यता है, जिसे माया सभ्यता के विद्वानों ने समझने में भूल कर दी और 21 दिसम्बर 2012 को महाविनाश की घोषणा कर दी| संगमयुग में मनुष्य रूपी जीवात्माओं द्वारा 5000 हजार वर्षो में किए गए कर्मो का हिसाब होता है, जो मनुष्य सत्कर्मी होते है उन्हें सतयुगी दुनिया में प्रवेश मिलता है और तामसिक प्रवृति वाले मनुष्यों को प्राकृतिक आपदाओं एवं महाविनाश में दर्द भरी मौत मिलती है, इसके बाद उन मनुष्य रूपी जीवात्मा के पिछले सारे पाप कर्म माफ हो जाते है और उन्हें कर्मभूमि पर फिर से नए कर्म करने के लिए नया जन्म मिलता है|

ज्ञात रहे कर्मभूमि पर 18 दिसंबर, 2012 को भारत की ह्रदयस्थली मध्य प्रदेश में विश्व विख्यात देवादी देव महादेव, काल के भी काल महाकाल के पवित्र धाम उज्जैन में आज के विकास और विज्ञान के युग में दिव्य महाशक्ति निर्गुण परमब्रह्म का पूर्ण प्रमाण के साथ ज्ञानस्वरूप भव्य अवतरण होकर, सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के लिए नवीन विश्व धर्म की स्थापना हो चूकी है| ईश्वर ज्ञान रूपी तलवार से मानव के मन-मस्तिक में तामसिक प्रवृतियों का नाश कर कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करेंगे| कलयुग के काल का पूर्णतया नाश होने के बाद सम्पूर्ण मानव जगत के सत्कर्मो से कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन होगा, कर्मभूमि अविनाशी स्वर्ग बन जाएगी, इसके बाद कर्मभूमि पर कभी युग परिवर्तन नहीं होंगे| उपरोक्त ईश्वरीय भविष्यवाणी को मानव जगत के सत्कर्म ही साकार कर सकते है, सत्कर्मी बनो अपनी धरती को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बनाओ|

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