मानव जीवन कर्म प्रधान है ईश्वर मानव को कर्म करने का ज्ञान दे सकता है किसी से निर्धारित कर्म नही करवा सकता…

अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार कर्मभूमि पर मानव जीवन कर्म प्रधान है, मानव कर्म करने में स्वतंत्र है कर्म फल पाने में नहीं| जैसी करनी वैसी भरनी कर्मफल का अटल सिद्धांत है| जिस प्रकार एक इन्सान किसी दूसरे इन्सान को नुकसान पहुंचा सकता है, किसी के साथ मार पिट कर सकता है, किसी की हत्या भी कर सकता है ऐसा करने से उसे शायद कोई रोक नहीं पाए, किन्तु उसे उसके द्वारा किये गये गुनाह की सजा कानून के अनुसार जरुर मिलती है| ठीक उसी प्रकार ईश्वर मानव को कर्म करने का ज्ञान तो दे सकता है, किसी भी इन्सान से निर्धारित कर्म नहीं करवा सकता किसी भी इन्सान के भाग्य को नहीं बदल सकता, क्योंकि जैसी करनी वैसी भरनी कर्मफल का अटल सिद्धांत है|

कर्मभूमि पर राम का जन्म एक कर्मयोगी के रूप में राजा दशरथ के घर में एक राजकुमार के रूप में हुआ, किन्तु उनके भाग्य में त्रासदिया लिखी थी, तो राम को युवावस्था में 14 वर्ष का वनवास मिला, क्योंकि कर्मभूमि पर मानव-मात्र को कर्मफल को भुगतना ही होता है, सत्कर्म मानव के लिए सुखी जीवन का आधार बनते है तो वही अशुभ कर्म मानव के लिए दुखों का कारण बन जाते है| कर्मभूमि पर सत्कर्मी निष्काम कर्मयोगी बनो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओ|

Related Posts

WhatsApp WhatsApp us