कलयुग को सतयुग मे परिणित करने के लिए सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो को युगानुसार अपनी धार्मिक सोच को बदलना होगा…

अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार “एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति” भावार्थ- सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक परमब्रह्म ही परम सत्य है, उसे विदित किये बिना इस संसार से मानव के लिए मुक्ति का और कोई उपाय नही है| अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक दिव्य महाशक्ति ब्रह्म के अलावा दूसरा कोई भी नही है| ज्ञात रहे एक ही ब्रह्म के दो स्वरूप दो चरित्र है, जो निर्गुण आत्मस्वरूप में परम सत्य अजर-अमर-अविनाशी है वही सगुण जीवात्मस्वरूप में सत-असत, परिवर्तनशील है| सृष्टि के सभी जीव-जीवात्मा एक ही सगुण परब्रह्म के अनेक मायावी रूप है, जिसमे सृष्टि के सभी देवी-देवता व मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है| 

मानव परमात्मा स्वरूप नहीं परमात्मा का ही रूप है, अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार कर्मभूमि पर मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है| मानव के लिए कर्मभूमि पर सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है| कर्मभूमि को बनकर अरबों वर्ष बीत गए, कर्मभूमि पर मानव का जन्म होकर भी करोड़ों वर्ष बीत गये, किन्तु मानव न तो ईश्वर के सत्यस्वरूप को जान पाया और नहीं ही स्वयं के विराट आत्मस्वरूप को जान पाया, नहीं मानव धर्म की सत्य परिभाषा को समझ पाया|

आज सम्पूर्ण मानव जगत के लोग धर्म के नाम पर अनेक प्रकार के जाति सम्प्रदाय बनाकर आपस में लड़ रहे है, जिसके कारण धरती पर धर्म के प्रति ग्लानी बढ़ने लगी है| धरती पर पाप का बोझ निरंतर बढ़ रहा है, जिसके कारण धरती पर कभी भी महाविनाश होकर मानव का नामोनिशान मिट सकता है|

पनी कर्मभूमि पर कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, अपनी धरती को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बनाने के लिए, सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को अपनी धार्मिक सोच को बदलना होगा| युगानुसार कल्कि ज्ञान सागर से ज्ञान ग्रहण कर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को धर्म के नाम पर रुढ़िवादी व हिंसक परम्पराओं को त्यागकर सत्य मार्ग पर चलना होगा| सत्य की विजय के लिए असत्य का त्याग करना होगा| सत्यवादी बनो सदा सुखी रहो|

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