21वी सदी में विश्व शांति के लिए कल्कि ज्ञान सागर की प्रेरणा से कर्मभूमि पर मिटेगी देश-विदेश की सीमाएं

दोस्तों मैं कल्कि साधक विश्व धर्म रक्षक-कैलाश मोह अपने आध्यात्मिक ब्लॉग कल्कि ज्ञान सागर पर जो भी ज्ञान की बातें लिखता हूँ,अपने भीतर की अंतःप्रेरणानुसार, अपने परम गुरुवर प्रभु परमब्रह्म के संदेशानुसार लिखता हूं| हमारा मकसद किसी भी धर्म संप्रदाय का अपमान करना, किसी धर्म प्रेमी इंसान की धार्मिक आस्था को ठेस पहुँचाना या किसी को धर्म और ईश्वर के नाम पर भ्रमित करना नहीं है| नहीं हम धर्म के नाम पर किसी से पैसा लेकर धन कमाना चाहते है| हमारी संस्थान अहिंसा परमोधर्म मानव सेवा संस्थान का मकसद अपने परम गुरुवर प्रभु परमब्रह्म के संदेशानुसार धार्मिक स्थल रहित सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म को विश्व धर्म नाकर सम्पूर्ण मानव जगत को धर्म और ईश्वर के नाम पर जाति, पंत, संत, संप्रदाय, अनेक प्रकार के धार्मिक स्थल एवं धर्म ग्रंथो से मुक्त करवाना है| मारा मकसद कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन कर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों का जीवन मंगलमय बनाना है| कर्मभूमि पर देश विदेश की सीमाएं मिटाकर, अपनी कर्मभूमि को महाविनाश से बचाकरअविनाशी स्वर्ग बनाना है| मानव सिर्फ धरती पर ही नहीं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भ्रमण करने का आनंद ले सके, इस के लिए कर्मभूमि पर मानव मात्र को निष्काम कर्मयोगी बनकर विकास के माध्यम से अन्तरिक्ष में धरती जैसी अनेक नई दुनिया बसाना होगा| यह कार्य तभी संभव होगा जब कर्मभूमि पर मानव जगत के लोगों के बीच आपसी नफरते मिट जाएगी, मानव-मात्र को सत्कर्मी बनना होगा|

हमारी धरती को बनकर आज अरबों वर्ष बीत चूके है, कर्मभूमि पर वर्तमान मानव प्रजाति का जन्म होकर भी लाखो वर्ष बीत चुके है किन्तु  हमारा वर्तमान कलेंडर आज भी मात्र 2023 वर्ष की गणना कर रहा है और मानव जगत की अज्ञानतावश धरती पर फिर से महाविनाश की संभावनाएं नजर आने लगी है| अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार सुंदर सृष्टि के रचियता हमारे परम माता-पिता परमात्मा सगुण परब्रह्म ने मानव को अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी बनाया है, किन्तु मानव जगत के तामसिक कर्मो के कारण ही धरती पर लाखों वर्षो से बार-बार महाविनाश होते आए है| महाविनाश के कारण मानव जगत के द्वारा किये गए उच्च कोटि के सारे विकास व विकसित मानव सभ्यता सब कुछ मिट्टी में मिल जाता है, इसके बाद सगुण परमात्मा परब्रह्म द्वारा सृष्टि का पुनः नवीन सृजन किया जाता है| परमात्मा परब्रह्म ने मानव को सम्पूर्ण ब्रह्मांड का वैभव प्रदान कराने के लिए, मानव को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भ्रमण करने का आनंद प्रदान कराने के लिए, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को अविनाशी स्वर्ग व सतलोक बनाने के लिए, मनुष्य रूपी जीवात्माओं को देवलोक से कर्मभूमि पर उतारा है| मानव जगत के निष्काम कर्म ही परमात्मा परब्रह्म द्वारा रचित सुन्दर सृष्टि का सपना साकार कर सकते है| इसके लिए सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो को अपने भीतर के विशाल ईश्वरीय वैभव को, अपने सत्य विराट आत्मस्वरूप को जानना होगा| कर्मभूमि पर मानव-मात्र को नश्वर देह अभिमान को त्यागकर, विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनना होगा| 

अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार हमारी कर्मभूमि पर 75 % भाग पानी है , सिर्फ 25 % जमीन है, जिस पर मनुष्य रूपी जीवात्मा कर्मयोगी के रूप में निवास करते हुए कर्म कर सकते है| मानव का भौतिक शरीर भी कर्मभूमि के समान है, मानव के शरीर में भी 75 % भाग पानी है 25 % अन्य तत्त्व है, मानव तन तीन लोको का संगम स्थल है, इसलिए मानव मात्र के तीन स्वरूप है, साकार मानव तन, आकार मनुष्य रूपी जीवात्मा व निराकार पवित्र आत्मा, भला इसमें मानव का अपना क्या है? मानव अपने नश्वर तन का स्वामी कैसे बन सकता है? अपने विराट आत्मस्वरूप को भुलाकर नश्वर परिवर्तनशील मानव तन के लिए जाति-सम्प्रदाय बनाकर भेदभाव करने वाले कर्मयोगीयों का मानव जीवन कैसे सार्थक हो सकता है? सम्पूर्ण मानव जगत के लोग देह अभिमान को त्यागकर विदेही भाव में विराट आत्मस्वरुपता में निष्काम कर्मयोगी बनकर, कर्मभूमि पर देश-विदेश की सारी सीमाएं मिटाकर, अपनी कर्मभूमि को अविनाशी स्वर्ग बना सकते है| जब सम्पूर्ण मानव जगत के लोग सत्कर्मी निष्काम कर्मयोगी बन जायेंगे तो मानव के निवास के लिए अन्तरिक्ष के द्वार भी स्वतः ही खुल जायेंगे| मानव जगत के लोग अन्तरिक्ष में अन्य ग्रहों पर धरती जैसी अनेक नई दुनिया बसाकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक दुनिया से दूसरी दुनिया में भ्रमण करने का आनंद ले सकते है| अपने मंगलमय जीवन के साथ कर्मभूमि पर स्वर्ग सुख का आनंद लेते हुए विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप बनकर अपना आत्मकल्याण भी कर सकते है |

मूढ़ बुद्धि के लोग है जिन्होंने अपने निजी स्वार्थ के लिए कर्मभूमि पर देश-विदेश की लकीरे डालकर, अपनी धरती माता के टुकड़े टुकड़े कर दिए है और अब इन टुकड़ो के लिए मर मिटने को तैयार है| विकास में हजारो वर्ष लग जाते है, महाविनाश के लिए कुछ ही पल काफी है| ज्ञात रहे जब प्रकृति के पंचतत्वों से बने मानव तन की एक पल की गारंटी नहीं है, तो भला कोई मानव कर्मभूमि पर भूमि, किसी मानव या किसी वस्तु का मालिक कैसे बन सकता है? ज्ञात रहे मानव चाहे जीतने ताकतवर हथियार बनाले वो प्रकृति और परमात्मा से नहीं लड़ सकता, धरती अगर थोड़ी भी कंपन कर गई तो मनुष्यों के बनाए सारे के सारे हथियार धरा के धरा पर धरे ही रह जाएंगे और सब के सब मिट्टी में मिल जाएंगे| धरती पर मानव का नामो निशान मिट सकता है, जब सभी जिन्दा जमी में दफ़न हो जायेगे तो किसी कर्मयोगी की क्या पहचान होगी जब सब के सब  एक मानव कंकाल बन जायेगे, तब उन मानव कंकाल का कौनसा देश होगा? कौनसा जाति-धर्म संप्रदाय होगा? कौनसा घर-परिवार होगा? अतः कर्मभूमि पर मनुष्यों को अपने भौतिक शरीर को एक रथ के समान साधन मात्र मानते हुए, अपने भीतर के विराट आत्मस्वरूपता को जानकर आत्मस्वरूपता में अपना जीवन यापन करते हुए अपना मानव जीवन सार्थक बनाना चाहिए |

ज्ञात रहे कर्मभूमि पर मानव जीवन कर्म प्रधान है, ईश्वर मानव को सिर्फ कर्म करने का ज्ञान दे सकता है, किसी भी मनुष्य से निर्धारित कर्म नहीं करवा सकता| 21वी सदी में कर्मभूमि पर मानव-मात्र को ईश्वर व स्वयं के सत्य स्वरूप को जानने की जरुरत है, ईश्वर द्वारा दिए गए कर्म करने के ज्ञान की जरूरत है| वर्तमान समय कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय चल रहा है| बाइबल, गीता समेत अनेक धर्म ग्रंथो एवं मावजी महाराज, नास्त्रेदमस जैसे अनेक विश्व विख्यात भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणीनुसार कर्मभूमि पर 31 दिसंबर 2016 को पूर्ण प्रमाण के साथ निष्कलंक निराकार परम गुरुवर परमब्रह्म का कल्कि ज्ञान सागर स्वरूप भव्य अवतरण हो चूका है| सैकड़ो गणमान्य नागरिकों व हजारो धर्म प्रेमी लोगों के बीच कल्कि साधक विश्व धर्म रक्षक कैलाश मोहन व गौभक्त मोहम्मद फैज खान द्वारा 31 दिसंबर 2016 रात्रि 12 बजे धार्मिक स्थल व जाति-सम्प्रदाय रहित कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना हो चूकी है| वर्तमान में भारत की पावन भूमि पर अहिंसा रथ और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभावना के कार्य निरंतर जारी है, आपको पूर्ण जानकारी KALKI GYAAN SAGAR वेबसाईट, एप व यूटूब चैनल से मिल सकती है|

आज का मानव कर्मभूमि पर अपने विराट आत्मस्वरू को भूलकर प्रकृति के पंचतत्वों से बने नश्वर भौतिक शरीर को ही अपना सत्यस्वरूप मानने लगा है जिसके कारण कर्मयोगी के दिलो में निजी स्वार्थ के लिए तेरे मेरे के भाव पैदा हो सकते है, जबकि सृष्टि के सभी जीव एक ही सगुण परब्रह्म के मायावी रूप है, कर्मभूमि पर मानव जीवात्मस्वरूप में भिन्न-भिन्न हो सकते है, आत्मस्वरूपता में सभी एक समान है| ज्ञात रहे ईश्वर जीव मात्र का परम हितेषी है वो कभी किसी का अहित नहीं कर सकता, धरती पर देश-विदेश की सीमाएं मनुष्यों के लिए हो सकती है, सृष्टि के अन्य जीवो के लिए नहीं, मनुष्यों को बनाने वाले के लिए नहीं| एक समय था जब मानव का पूर्ण विकास नहीं हुआ था, तब कर्मभूमि पर किसी प्रकार की सीमाएं नहीं थी| जैसे-जैसे मानव विकसित होता गया उसमें इंसानियत की कमी आती गई| अपने निजी स्वार्थ के कारण मानव ने अपनी जन्मभूमि, अपनी कर्मभूमि, अपनी मातृभूमि, अपनी धरती माता के टुकड़े-टुकड़े कर दिए| आज जो लोग पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में निवास कर रहे है, उनके वंशज या वो भी कभी भारतवासी थे, कालदोष के कारण भाई से भाई बिछुड़ गए और देश-विदेश की सीमाओं ने प्यार भरे दिलों में नफरते पैदा कर दी|

बड़े हर्ष का विषय है युग परिवर्तन की संधिवेला में सम्पूर्ण ब्रह्मांड की दिव्य परम महाशक्ति का, सम्पूर्ण मानव जगत के परम हितेषी परम गुरुवर परमब्रह्म का पूर्ण प्रमाण के साथ कल्कि ज्ञान सागर स्वरूप भव्य अवतरण हो चुका है| भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका इन सभी बिछुड़े हुए भाई-बहनों को अपने सारे आपसी भेद भाव भुलाकर नफरत की लकीरों को मिटाकर आपस में गले लगने का वक्त आ गया है, अब सभी को मिलकर पुनः अखंड भारत का सृजन करना होगा| क्योंकि अखंड भारत ही पूरे विश्व की शान बन सकता है, खंडित भारत कभी विश्व धर्म गुरु नहीं बन सकता| इस्लाम नफरत की आग नहीं प्यार का पैगाम है ये संदेश भी विश्व को अखंड भारत से ही दिया जा सकता है| इस्लाम के भारतीय अनुयाई दुनिया को बता देंगें की वो अपने मजहब को कितना प्यार करते है| इस्लाम के भारतीय अनुयाई अपने मजहब के लोगो के साथ मिलकर अखंड भारत का सृजन करेंगे, अपने भारत को पुनः विश्व धर्म गुरु बनायेगे और भारत के पुनः विश्व धर्म गुरु बनने का श्रेय किसी जाति संप्रदाय को नही अखंड भारतवासियों को मिलेगा| इस प्रकार भारत के पुनः विश्व धर्म गुरु बनने का गौरव दिव्य महाशक्ति की तरफ से पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका की आवाम को भी प्राप्त होगा|

ज्ञात रहे आज जिस जम्मू-कश्मीर को लेकर नफरत की आग लगी है, कल उसी जम्मू कश्मीर से विश्व में शांति कायम होगी और यही जम्मू कश्मीर आध्यात्मिक ज्ञान के लिए पूरे विश्व की आस्था का केंद्र बनकर विश्व धर्म का पावन तीर्थ बन  जाएगा| जम्मू कश्मीर ना हिंदुस्तान का होगा, नही पाकिस्तान का जब भी होगा अखंड भारत का होगा| भारत व पाकिस्तान के बीच नफरत की सीमा मिट जाएगी, भारत के छोटे-छोटे पडोसी देशो का भारत में पुनः विलय होगा| इतना ही नहीं विश्व शांति के लिए धरती पर सतयुगी दुनिया के सृजन के लिए, कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की प्रभावना भी देवभूमि जम्मू कश्मीर से होगी| जम्मू कश्मीर पूरे विश्व का पावन तीर्थ बनने का गौरव भारतीयों के साथ-साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका की आवाम को भी प्राप्त होगा|

युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के बीच धर्म और ईश्वर के नाम पर बने जाति, पंत, संत, संप्रदाय, अनेक प्रकार के धार्मिक स्थल और धर्म ग्रंथो से सम्पूर्ण मानव जगत को कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से मुक्त करवा दिया जाएगा| मानव जगत के लोगों के बीच धार्मिक भेदभाव मिट जाने से लोगो के दिलों में प्रेम और भाईचारा जागृत होगा, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशो का विश्व शांति के लिए भारत में विलय होगा और पुनः अखंड भारत का निर्माण होगा| इसके बाद अखंड भारत पुनः विश्व धर्म गुरु बनेगा और धरती पर कल्कि ज्ञान सागर से सतयुगी दुनिया का सृजन होगा| धरती को महाविनाश से बचाने के लिए, धरती पर विकास के लिए, देश विदेश की सारी सीमाएं मिटेगी और विश्व मानव परिवार के सत्कर्म से धरती अविनाशी स्वर्ग बनेगी, मनुष्यों के लिए अन्तरिक्ष के द्वार खूल जाएंगे और अन्तरिक्ष में धरती जैसी अनेक दुनिया बसेगी एवं मानव जगत को सम्पूर्ण ब्रह्मांड का वैभव प्राप्त होगा| इसी शुभ भावना के साथ  जय अहिंसा ॐ विश्व शांति सत्यमेव जयते जय माँ भारती|

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