हिन्दुत्व नहीं हिन्दत्व की भावना से मिटेगा सम्प्रदायवाद, राष्ट्रीय एकता से बनेगा भारत पुनः विश्व धर्म गुरु…

युगों-युगों से वेदों पर आधारित सनातन धर्म ही कर्मभूमि पर विश्व धर्म रहा है, सनातन धर्म का मतलब सगुण परमात्मा परब्रह्म की संतान का धर्म, कर्मभूमि पर सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसका कोई संस्थापक, स्थापना दिवस, जाति, धर्म-सम्प्रदाय नहीं है| कालदोष के कारण सनातन धर्म के अनुयाई ईश्वर के नाम पर अनेक देवी-देवताओ की, अवतारी महापुरुषों की मुर्तिया बनाकर पूजने लगे, जिसके कारण मानव जगत के लोगों के बीच धार्मिक भेदभाव पैदा हो गया| जिसके कारण विश्व के लोगो ने सनातन धर्म से दूरियां बना ली, इसी के साथ कर्मभूमि पर यहूदी, इसाई, इस्लाम, सिख जैसे नए धर्म संप्रदाय का उदय हुआ| धर्म एक है किन्तु संप्रदाय अनेक बन गये इस कारण धरती पर धर्म के प्रति ग्लानी बढ़ने लगी|

सनातन धर्म के कुछ लोगों ने सनातन धर्म को हिन्दू धर्म नाम देकर स्वयं को हिन्दू मानना शुरू कर दिया, जबकि हमारे आगम के अनुसार हिन्दू न कोई जाति है, नहीं कोई धर्म-संप्रदाय| सनातन धर्म ने हमेशा सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को एक विश्व मानव परिवार मानकर जोड़ने का काम किया, वही हिन्दू शब्द ने अपने देशवासियों के बीच भेदभाव पैदा कर देशवासियों को बाँटने का काम किया| धर्म कभी नफ़रत नहीं सिखाता| भारत जैसे महान देश के महान देशवासियों के लिए जाति, धर्म-सम्प्रदाय से भी बढ़कर है राष्ट्रीय एकता, प्रेम भाईचारा व देश भक्ति|

अपने भारत को पुनः विश्व धर्म गुरु बनाने के लिए हमारे देशवासियों को जाति, धर्म- सम्प्रदायवाद को छोड़कर सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म को अंगीकार करना होगा| 21वी सदी में कर्मभूमि पर शांति स्थापित करने के लिए सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को अपनी धार्मिक सोच को बदलना होगा| भारतवासियों को अपने धर्म-संप्रदाय से ऊपर उठकर मानवता को अंगीकार करना होगा| धर्म के नाम पर रूढ़ीवादी, हिंसक प्रवृतियों को त्यागकर सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म को विश्व धर्म बनाना होगा| सत्कर्मी बनो अपनी कर्मभूमि को अविनाशी स्वर्ग बनाओं|

 

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