हमारी कर्मभूमि पर जितने विकास पिछले तीन हजार वर्षो में नहीं हुए, उससे कई गुना ज्यादा व बेहतरीन विकास पिछले मात्र 30 वर्षो में होते देखे है| इससे पहले हमने मानव जगत को सिमित संसाधन में जीवनयापन करते देखा है| यातायात के साधनों का नितांत अभाव था, बैल गाडियों का उपयोग होते हमने देखा है, किन्तु आज मानव के जीवनयापन के लिए एक से बढ़कर एक यातायात के साधन उपलब्ध है| कृषि के लिए भी सारे मशीनरी साधन उपलब्ध है|
वर्तमान समय में मानव जगत के लोगों का रहन-सहन, खान-पान, पहनावा, त्यौहार मनाने का तौर तरीका सब कुछ बदल गया है| मोबाईल की छोटी-सी सिम ने सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो को जोड़ दिया है, मानव कुछ ही पल में दुनिया के किसी भी कौने में बैठे व्यक्ति से संपर्क कर सकता है| इसी को कहते है युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय इस समय सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के लिए ईश्वरीय कृपा बरस रही है| कर्मभूमि पर युगानुसार मानव को सत्कर्मी निष्काम कर्मयोगी बनकर, अपना अमूल्य मानव जीवन सार्थक बनना चाहिए|
कर्मभूमि पर कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, निर्गुण ईश्वर का कर्मभूमि पर किसी न किसी निष्काम कर्मयोगी के ह्रदय में ज्ञानस्वरूप भव्य अवतरण होता है| ईश्वर उस कर्मयोगी को अपना प्रतिनिधि बनाकर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो के लिए नवीन विश्व धर्म की स्थापना व प्रभावना के कार्य करवाते है| मानव जगत के सत्कर्म ही धरती को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बना सकते है| युग परिवर्तन के लिए, सतयुगी दुनिया के सृजन के लिए, ईश्वरीय कार्य में सहभागी बनकर पुण्यार्जन करे, अपना मानव जीवन सार्थक बनाए| सत्कर्मी बनों सुखी रहो|