अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार कल्कि ज्ञान सागर का संदेश पूरी धरती सबका देश, सृष्टि के सभी जीव व जीवात्माओं का जन्म यानी अवतरण कर्मभूमि पर होता है, किसी गाँव, शहर, प्रांत, देश में नहीं| कर्मभूमि पर गाँव, शहर, प्रांत, देश की सीमाएं मानव जनित है, ईश्वर की बनाई नहीं| अतः सृष्टि के सभी जीव-जीवात्माओं की जन्मभूमि सम्पूर्ण कर्मभूमि है, सृष्टि के सभी जीव-जीवात्मा जहां मन चाहे वहां रहकर जीवनयापन कर सकते है| कर्मभूमि पर किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं है|
सृष्टि सृजन के सिद्धांतानुसार कर्मभूमि पर विचरण करने वाले सभी जीव-जीवात्मा एक ही सगुण परमात्मा परब्रह्म के अनेक मायावी रूप है| सभी जीव-जीवात्मा भौतिक शरीर के रूप में अलग-अलग दिख सकते है किन्तु जीव-जीवात्मस्वरूप में सभी एक समान है| सभी जीव-जीवात्मा एक ही वायुमंडल में श्वास लेते है, एक ही प्रकृति का दिया खाते-पीते है|
सम्पूर्ण सृष्टि में मानव ही एक ऐसा प्राणी है, जिसे सगुण परमात्मा परब्रह्म की सर्वश्रेष्ठ कृति, सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना गया है, फिर भला मानव जगत के लोगो के बीच जाति, धर्म-संप्रदाय का आपसी भेदभाव क्यों? जबकि सृष्टि के अन्य सभी जीवो के बीच किसी तरह का भेदभाव नही होता| आकाश में उड़ने वाले पक्षी मानव जनित देश-विदेश की सीमाओं को लांघकर एक देश से दूसरे देश में जा सकते है, निवास कर सकते है, तो मानव पर बंदिश क्यों?
कर्मभूमि पर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को अपना मानव जीवन सार्थक बनाने के लिए, कर्मभूमि पर स्वर्ग सुख का आनन्द लेने के लिए, अपने मंगलमय सुखद जीवन के साथ आत्मकल्याण करने के लिए, प्रकृति और परमात्मा के नियमो का पालन करना चाहिए|कर्मभूमि पर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को देश-विदेश की सीमाओं को मिटाकर, हथियारों पर खर्च होने वाले पैसो से धरती पर मानव सेवा व विकास के कार्य करने चाहिए| मानव जगत के सत्कर्म और निष्काम कर्म ही धरती को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बना सकते है| कर्मभूमि पर कलयुग को सतयुग में परिणित कर सतयुगी दुनिया का सृजन कर सकते है|