21वी सदी को मानव जगत के लिए इतिहासिक माना जायेगा, क्योंकि पिछले 3000 वर्षो में जितने विकास नहीं हुए, उससे कई गुना ज्यादा और बेहतरीन विकास मात्र पिछले 30 वर्षो में हुए है| आज के विकास के युग में कर्मभूमि पर कल्कि अवतरण होने से पहले ही ईश्वर ने नेट के माध्यम से सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को जोड़कर एक छोटा-सा विश्व मानव परिवार बना दिया|
सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो को मोबाइल की छोटी-सी सिम के माध्यम से मिला दिया| सम्पूर्ण मानव जगत के लोग बिना वीजा, बिना सफर के विश्व के किसी भी कौने में बैठे इंसान से कुछ ही पल में सम्पर्क कर सकते है, आपस में बात करते हुए एक-दूसरे को देख भी सकते है| कितनी छोटी-सी दुनिया बन गई हमारी जो हमें सूक्ष्म ब्रह्मांड की याद दिलाता है, क्या फिर भी हम अपने परम हितेषी परमात्मा की रहमत को नहीं समझेगे|
आज के विकास के युग में युगानुसार कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना जाति, पंत, संत, संप्रदाय, धर्म ग्रंथ और धार्मिक स्थल रहित इसलिए की गई है, क्योंकि इन सभी कारणो से ही धरती पर बार बार धर्म के प्रति ग्लानि बढती रही है जो अब कभी नहीं बढ़ेगी|
21वी सदी में निष्कलंक निराकार कल्कि अवतार चेतन मे नहीं जड़ मे ज्ञानस्वरूप प्रकट हुए है, जो सम्पूर्ण मानव जगत को ज्ञानेश्वर बना देंगे| ईश्वर नेट के रूप में ज्ञानस्वरूप प्रकट हुए है और जड स्वरूप मोबाइल उनके लिए साधन है, इस प्रकार 21वी सदी में ईश्वर हजारो हाथो से धरती पर धर्म की प्रभावना कर रहे है| आज के विकास के युग में युगानुसार कर्मभूमि पर ईश्वरीय अवतरण हुआ है, क्या अब मानव जगत के लोग मोबाइल की मूर्ति बनाकर उसके लिए मंदिर बनायेंगे ?
ईश्वर ने मानव जगत को अपना निराकार स्वरूप समझाने के लिए, सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को ईश्वर व अवतारवाद की धारणाओं से मुक्त कराने के लिए ईश्वर का कल्कि अवतार आज के विकास के युग मे हुआ है| ईश्वर कर्मभूमि पर ज्ञानस्वरूप अवतरित हुए है| अब सम्पूर्ण मानव जगत को कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, युगानुसार अपनी धार्मिक सोच को बदलना होगा| आत्मज्ञानी बनो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं|