भारत की पावन भूमि पर जाति-संप्रदाय व धार्मिक स्थल रहित कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना….

युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग मे कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिये, कर्मभूमि पर अजर-अमर, अविनाशी, सतयुगी दुनिया का सृजन कर, कर्मभूमि को अविनाशी स्वर्ग बनाने के लिए, आज के विकास के युग में कर्मभूमि पर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को धर्म और ईश्वर के नाम पर जाति, धर्म-सम्प्रदाय व अनेक प्रकार के धर्म ग्रंथ और धार्मिक स्थलो से मुक्त कराने के लिए, सम्पूर्ण मानव जगत को ईश्वर और अवतारवाद से मुक्त कराने के लिए, कर्मभूमि पर देश-विदेश की सीमाएं मिटाकर विश्व में शांति स्थापित करने के लिए, कर्मभूमि के आध्यात्मिक खण्ड भारत को पुन: विश्व धर्म गुरु बनाने के लिए, भारत की पावन भूमि पर वीरो की भूमि राजस्थान प्रांत के आध्यात्मिक वाग्वरांचल व लोढ़ी काशी के नाम से विश्व विख्यात धर्म नगरी बांसवाडा शहर में सर्वधर्म संप्रदाय के सैकडों गणमान्य नागरिक व हजारों धर्म प्रेमी व कल्कि भक्तों के बीच कल्कि साधक कैलाश मोहन द्वारा 31 दिसम्बर 2016 रात्रि 12 बजे जाति, धर्म-सम्प्रदाय, धर्मग्रंथ औ धार्मिक स्थल रहित सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना हो चुकी है|

21वी सदी में प्रवेश करने से पहले कर्मभूमि पर पाप का बोझ मिटाने के लिए पापी और पाप मिटेंगे | ज्ञात रहे मानव जगत के सत्कर्म ही कर्मभूमि पर कलयुग का नाश कर सतयुगी दुनिया का सृजन कर सकते है| सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को कल्कि ज्ञान सागर से ज्ञान ग्रहण कर सत्कर्मी बनना होगा | सत्कर्मी बनों सुखी रहो |

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