प्रेम ही परमेश्वर है, परमेश्वर ने प्रेम के लिए दुनिया बनाई है नफरत के लिए नहीं….

प्रेम ही परमेश्वर है प्रेम में वो शक्ति है जो दुश्मन को भी दोस्त बना देती है| ईश्वर ने प्रेम के लिए दुनिया बनाई है नफ़रत के लिए, आपस में लड़कर मरने के लिए नहीं| सम्पूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी स्वयं सृष्टि के सभी जीव-जीवात्माओं के परम हितेषी बनकर सेवा करते है| ईश्वर निर्गुण स्वरूप में ज्ञान के दातार है, जिन्हें हम अपना परम गुरुवर कह सकते है वही ईश्वर सगुण स्वरूप में सृष्टि के सभी जीव-जीवात्माओं के जन्मदाता, पालनहार बने हुए है, उनके द्वारा ही सृष्टि में वृष्टि होती है| इसलिए सगुण परब्रह्म को हम सम्पूर्ण सृष्टि के सभी जीव-जीवात्माओं के लिए परम माता-पिता परमात्मा कह सकते है|

सृष्टि के सभी जीव-जीवात्मा एक ही वायुमंडल में श्वांस लेते है, एक ही प्रकृति का दिया खाते पिते है फिर आपस में भेदभाव किस बात का? मिलकर रहना सिख लो कर्मभूमि पर आपका मानव जीवन सार्थक हो जायेगा| सत्कर्मी बनो सुखी रहो|

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