
अद्भुत रस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार मनुष्यरूपी जीवात्मा का आत्मकल्याण के लिए देवलोक से कर्मभूमि पर प्रकृति के पंचतत्वों से बने नश्वर भौतिक शरीर के भीतर अवतरण होता है| कर्मभूमि पर मानव के लिए भौतिक शरीर एक रथ के समान है| मानव को कर्मभूमि पर आत्मकल्याण के लिए अपने मायावी नश्वर देह के प्रति मोह का त्यागकर विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनना चाहिए तभी मानव का अमूल्य मानव जीवन सार्थक हो सकता है| आत्म ज्ञानी बनो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओ|
WhatsApp us 










