पाकिस्तान का होगा भारत में विलय जम्मू कश्मीर में बनेगा विश्व धर्म गुरुकुल भारत बनेगा पुनः विश्व धर्म गुरु |

  ||कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से ईश्वरीय संदेश||

जिस भारत भूमि पर मिला जन्म तुम्हें, उस भारत की आन-बान-शान तुम क्या जानों?
शुन्य की दाता जग जननी है भारत माता, भारत ही कर्मभूमि का आध्यात्मिक खंड है,
विश्व धर्म गुरु, विश्व धर्म तीर्थ, विश्व कल्याणी भारत माता,आध्यात्मिक ज्ञान की दाता है
इस देव भूमि भारत माता का, युगो युगो से मानव जगत से, विश्व परिवार का नाता है|

दोस्तों मैं कल्कि साधक कैलाश मोहन अपनी अंतःप्रेरणानुसार उपरोक्त लेख के माध्यम से सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को अपने विश्व मानव परिवार को बताना चाहूँगा कि अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार जब से कर्मभूमि पर मानव का जन्म हुआ, तब से भारत कर्मभूमि का आध्यात्मिक खंड रहा है| भारत को देवभूमि, ऋषि मुनियों साधू संतो का देश भी कहा जाता है| अनादी काल से चला आ रहा वेदों पर आधारित सनातन धर्म ही युगों-युगों से विश्व धर्म रहा है, जिसे सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म भी कहा जा सकता है| सनातन धर्म का न तो कोई संस्थापक है, नहीं कोई स्थापना दिवस, नहीं कोई जाति-संप्रदाय है, इसलिए सनातन धर्म को मानव-मात्र का धर्म माना जा सकता है| 

कालदोष के कारण अज्ञानतावश सनातन धर्म के कुछ लोग भक्ति मार्ग में एक सगुण परब्रह्म को छोड़कर उनसे प्रकट हुए अनेक प्रकार के देवी-देवताओं को भी भगवान मानकर उनके नाम पर पत्थर, पानी, पेड़, पशु की पूजा करने लगे| धर्म के नाम पर अनेक प्रकार की रुढ़िवादियो में विश्वास करने लगे, जिसके कारण सनातन धर्म को मानने वाले विश्व मानव परिवार के लोगों के बीच धार्मिक भेदभाव पैदा हो गया, इसलिए कर्मभूमि पर एक ईश्वरवादी इस्लाम और इसाई धर्म सम्प्रदाय का उदय हुआ| ईसाई धर्म आज विश्व में सबसे ज्यादा माने जाने वाला धर्म बन गया, दूसरे नम्बर पर इस्लाम व तीसरे नम्बर पर सनातन धर्म आ गया|    

कर्मभूमि पर कर्मयोगियों के लिए धर्म एक ही है, सत्कर्म और सेवा मानव के सत्कर्म ही ईश्वर की सच्ची पूजा है, किन्तु कर्मभूमि पर मानव-धर्म के नाम पर आज अनेक प्रकार के जाति-सम्प्रदाय बन जाने के कारण, हमारे विश्व मानव परिवार के बीच नफरत की दीवारे खड़ी हो गई है, जिसके कारण धरती पर धर्म के प्रति ग्लानी बढ़ने लगी है| टूट गई है माला मोती बिखर गये … इन बिखरे हुए मोतियों को हमें प्रेम रूपी धागे से पुनः जोड़ना है|

ज्ञात रहे युगों-युगों से भारत विश्व गुरु के रूप में विश्व का नेतृत्व करता आया है, इसलिए भारत हमेशा विश्व धर्म गुरुआध्यात्मिक देश के नाम से विख्यात रहा है| आज हम भारतवासियों के लिए बड़े दुःख का विषय है, विश्व को अहिंसा का सन्देश देने वाला आध्यात्मिक देश वर्तमान में विश्व की सबसे बड़ी मांस की मंडी बन गया है| कागज के चंद टुकडो के लिए भारतीय प्रशासन प्रतिदिन लाखों बेजुबान मासूम पशुओ को दर्द भरी मौत देकर महापाप कर रहा है और भारत माता के दामन को भी कलंकित कर रहा है|

जिस देश का राजा चंद पैसो के लिए प्रतिदिन लाखों बेजुबान पशुओं की हत्या करवा देता है, भला महापाप करने वाले देश में खुशहाली कहाँ से आ सकती है? उस देश की प्रजा को सुख शांति कैसे मिल सकती है? एक हिंसक देश विश्व धर्म गुरु कैसे बन सकता है? जो कभी दुनियां को ज्ञान बाँटता था, आज वो अपने विश्व परिवार के लोगों को मांस खिलाकर उनमें तामसिक प्रवृतिया पैदा कर रहा है| भारतीय प्रशासन के कारण आज हमारे भारत की आन-बान-शान, हमारे देश की संस्कृति, हमारे देश का गौरव सब कुछ मिट्टी में मिलता नजर आ रहा है| 

सृष्टि के किसी भी जीव की बेवजह हिंसा करना महापाप है| जब धरती पर धर्म का रखवाला कर्मभूमि का आध्यात्मिक खंड भारत ही धर्म भ्रष्ट हो चूका है, तो धरती पर बढ़ते पाप के बोझ को कौन रोकेगा? आज धरती पर पाप का बोझ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है| धरती पर एक बार फिर से महाविनाश की संभावनाएं दिखाई देने लगी है| हाल ही में मानव जगत कोरोना महामारी और भूकंप जैसी आपदा में कई लोगों को त्रासदी भरी मौत मरते देख चूका है| युक्रेन व रुस के बीच चलने वाला युद्ध कल विश्व युद्ध का रूप धारण कर सकता है| ज्ञात रहे धरती पर विकास में हजारो वर्ष लग जाते है, महाविनाश के लिए कुछ ही पल काफी है| 

अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार कर्मभूमि पर युग परिवर्तन मानव जगत के कर्मो के अनुसार होते है| किसी भी युग का समय निर्धारित नहीं होता| वर्तमान में धरती पर पाप का बोझ बढ़ चूका है, महाविनाश होकर मानव जाति का नामोनिशान मिट सकता है| वर्तमान को हम युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय कह सकते है, इस्लाम में इसे फेसले की घडी कहते है| संगमयुग में सृष्टि के रचियता प्रकृति और परमात्मा परब्रह्म द्वारा पाप और पापियों का नाश किया जाता है| साथ ही कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए कर्मभूमि पर किसी निष्काम कर्मयोगी के ह्रदय में दिव्य महाशक्ति का ज्ञानस्वरूप भव्य अवतरण होता है एवं मानव-धर्म की पुनः स्थापना व प्रभावना के कार्य संपन्न होते है|

ज्ञात रहे सुन्दर सृष्टि के रचियता सृष्टि के सभी जीव-जीवात्माओं के जन्मदाता-पालनहार परम माता-पिता परमात्मा, देवादि देव महादेव, काल के भी काल महाकाल अविनाशी सगुण परब्रह्म का पावन धाम कर्मभूमि के आध्यात्मिक खंड भारत की पावन भूमि पर जम्मू-कश्मीर में विद्यमान है| सनातन धर्म के लोग अविनाशी सगुण परब्रह्म को बाबा अमरनाथ, अर्द्धनारीश्वर, शिव-शक्ति के नाम से पुकारते है, ईसाई धर्म में आदम-ईव, इस्लाम धर्म में आदम-हव्वा के नाम से जाना जाता है| सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो को भक्ति-मार्ग में  अपने जन्मदाता, पालनहार सगुण परब्रह्म के प्रतिक शिवलिंग को नमन कर निर्गुण परमब्रह्म निष्कलंक निराकार अल्लाह-ईश्वर की इबादत, साधना करना चाहिए, “एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति”|  

जम्मू-कश्मीर में बाबा अमरनाथ के साथ ही माता वैष्णों देवी जिसे त्रिकुटा के नाम से जाना जाता है और माता सीता जिसे माता वनखंडी के नाम से जाना जाता है, युग परिवर्तनकारी इन दोनों देवियों के परमधाम भी जम्मू-कश्मीर में विद्यमान है, जिनका सम्बन्ध हरि विष्णु से है| प्रभु कल्कि को हरि विष्णु का दसवां व आखरी अवतार माना गया है और दोनों देवियों को प्रभु कल्कि की पत्नी माना गया है| कल्कि अवतार के माता-पिता शिव-शक्ति और कल्कि अवतार की दोनों पत्नियाँ पहली पत्नी लक्ष्मी रूपा पद्मा दूसरी वैष्णो देवी शक्ति रूपा रमा जम्मू-कश्मीर में विराजमान है| इसलिए प्रभु कल्कि कर्मभूमि पर कलयुग को सतयुग में परिणित करने का कार्य देवभूमि जम्मू-कश्मीर से ही करेगे|

जम्मू-कश्मीर में बाबा अमरनाथ, माता वैष्णोदेवी के पावन धाम तो विश्व विख्यात है, अयोध्या का राम मंदिर भी विश्व विख्यात है, किन्तु धरती पुत्री माता वनखंडी सीता माता के धाम के बारे में बहुत कम लोग ही जानते है| ज्ञात रहे माता सीता सत्य के लिए जमीन में समाहित हो गई, सत्य को विजय पाने में विलंभ हो सकता है, किन्तु सत्य कभी पराजित नहीं होता| मैं कल्कि साधक मानव जगत को जम्मू-कश्मीर में सत्यवादी माता वनखंडी सीता माता के पावन धाम के बारे में बताना चाहूँगा, जहाँ पर कल्कि ज्ञान सागर सर्वधर्म सम्प्रदाय विश्व धर्म गुरुकुल का सृजन होने जा रहा है|

वैष्णो देवी से 150 किलोमीटर दूर कठुआ जिले के नौशहरा महानपुर ग्राम के शांति वन में माता सीता का पावन धाम है| स्थानीय लोग माता सीता को माता वनखंडी के नाम से जानते मानते है| वनवास के दौरान रावण द्वारा माता सीता का हरण कर लिया गया, जिसके कारण माता सीता पर कलंक लगा| जब माता पर कलंक लगा तब माता सीता गर्भवती थी ऐसे समय में राम ने जब सीता को त्याग दिया तब संत वाल्मीकि ने अपने आश्रम में आश्रय दिया|

लव-कुश का जन्म होने के बाद जब राम ने माता सीता की अग्नि परीक्षा लेनी चाही, तब माता-सीता ने अपने ऊपर लगे कलंक को मिटाने के लिए, नौशहरा के शांति वन में अपना सर्वस्य त्यागकर धरती माता से प्रार्थना की, हे धरती माता अगर में निष्कलंक हूँ तो मुझे अपनी गौद में समाहित कर लो, इस प्रकार माता सीता धरती माता की गौद में समाकर निष्कलंक हो गई| माता सीता धरती माता की गौद से प्रकट हुई थी और पुनः धरती माता की गौद में समा गई, इसलिए माता सीता को धरती पुत्री भी कहा जाता है|  

लगभग 35 वर्ष पूर्व महंत भगवानदास जम्मू के एतिहासिक धार्मिक स्थलों के दर्शन करते हुए एक दिन शांति वन में माता सीता के पावन धाम पर पहुँच गये| उपरोक्त स्थान पर जब रात्रि विश्राम किया तब उन्हें रात्रि में बड़ी डरावनी आवाज सुनाई देने लगी| महंत भगवानदास पूरी रात ठीक से सो नहीं पाए| प्रातः ब्रह्मवेला में महंत भगवानदास को माता शक्ति के रूप में माता सीता के दर्शन हुए| इसी के साथ महंत भगवानदास को शांतिवन की महिमा ज्ञात होती है| माता के निर्देशानुसार महंत भगवानदास इस स्थान पर स्थाई रूप से रहकर माता सीता की साधना व पूजा में लीन हो गये|

महंत भगवानदास पिछले 35 वर्षो से माता सीता की साधना पूजा करते आयें है| इस बीच महंत द्वारा माता वनखंडी धाम पर मंदिर का निर्माण भी करवाया गया, किन्तु मंदिर जमीन में समाहित हो गया| इसके बाद महंत द्वारा उसी स्थान पर दुबारा मंदिर का निर्माण करवाया गया, किन्तु मंदिर दुबारा जमीन में समाहित हो गया, ऐसा तीन बार हो चूका था, इसके बाद महंत ने उस स्थान को छोड़कर दूसरी पहाड़ी पर माता वनखंडी का मंदिर निर्माण करवाया उसके बाद कोई प्रकोप नहीं हुआ| आज माता वनखंडी धाम पर सैकड़ो यात्री दर्शन करने आते है, प्रतिवर्ष नवरात्रि में मेला भरता है और मेले में आने वाले हजारो यात्रियों के लिए माता वनखंडी धाम पर भण्डारा भी लगाया जाता है| 

युगानुसार कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए इस समय युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय चल रहा है| धरती पर जितने विकास पिछले 3000 हजार वर्षो में नहीं हुए, उससे कई गुना ज्यादा व बेहतरीन विकास मानव जगत ने पिछले मात्र 30 वर्षो में होते देखे है| तेज गति से उच्च कोटि के विकास होना, मानव जगत के लोगों में रहन-सहन, खान-पान में बड़ा परिवर्तन आना, उच्च कोटि के यातायात के साधनो का आविष्कार होना, मशीनों द्वारा खेती-बाड़ी होना आदि विकास को देखकर युग परिवर्तन का अनुमान लगाया जा सकता है| 

युगानुसार कर्मभूमि पर जाति-सम्प्रदाय, धर्मग्रन्थ और धार्मिक स्थल रहित सत्कर्म और सेवा रूपी मानव-धर्म की प्रभावना द्वारा सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, माता सीता के पवित्र धाम पर कल्कि ज्ञान सागर सर्व-धर्म सम्प्रदाय विश्व-धर्म गुरुकुल का सृजन होने जा रहा है| माता वनखंडी धाम से कर्मभूमि पर कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से सम्पूर्ण मानव जगत के बीच सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म की प्रभावना होगी|

युगों-युगों से भारत की पावन देवभूमि जम्मू-कश्मीर कर्मभूमि का आध्यात्मिक खण्ड रहा है, जम्मू-कश्मीर में विश्व धर्म गुरुकुल बनने के बाद जम्मू-कश्मीर सम्पूर्ण मानव जगत के लिए विश्व धर्म का पावन तीर्थ बन जाएगा| आध्यात्मिक महत्व रखने वाला जम्मू-कश्मीर न तो हिंदुस्तान का होगा और नहीं पाकिस्तान का, जब भी होगा अखंड भारत का होगा और सम्पूर्ण मानव जगत का होगा| 21वी सदी में कर्मभूमि पर जब मानव-मात्र निष्काम कर्मयोगी बन जायेगा तो देश-विदेश की सभी सीमाएं भी मिट जाएगी|

बतादे बहुत जल्दी पाकिस्तान का भारत में विलय होने वाला है, दोनों देशो के बीच नफरत की लकीर मिटने वाली है, आज पाकिस्तान की बेगुनाह आवाम को पाकिस्तानी हकूमत के कारण जो त्रासदियां सहनी पड़ रही है, उनकी त्रासदियों का बहुत जल्दी अंत होने वाला है| अब वक्त आ गया है युग परिवर्तन की संधिवेला में भारत 1947 के पहले वाला अखंड भारत बनकर पुनः विश्व धर्म गुरु बनने वाला है| भारत युगों-युगों से सम्पूर्ण मानव जगत को वसुधैवकुटुंबकम का संदेश देता आया है| 21वी सदी में भारत में सत्यमेव जयते का डंका बजने वाला है, अधर्म का नाश होकर जब धर्म की विजय होगी, तो पूरे विश्व में शांति कायम होगी, इसके बाद भारत द्वारा विश्व धर्म शासन की स्थापना होगी, भारत का सम्पूर्ण विश्व पर धर्म शासन होगा, इसी के साथ भारत पुनः विश्व धर्म गुरु बन जायेगा|

विश्व पर भारत का धर्म शासन स्थापित होने के बाद सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के बीच धार्मिक एकता कायम करने के लिए, भारत विश्व के महान धर्म गुरुओं, ऋषि मुनियों, निष्काम कर्मयोगियों को लेकर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के लिए मानव धर्म का एक संविधान बनाएगा| जिससे सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों में धार्मिक एकता कायम होगी, कर्मभूमि पर धर्म के नाम पर जाति-सम्प्रदायवाद जड़ से मिट जायेगा| कर्मभूमि पर वैश्विक धर्म शासन की स्थापना होने के बाद मानव जगत के लोगों के ह्रदय में देवत्व व दिव्यता जागृत होगी, जब कर्मभूमि पर सम्पूर्ण मानव जगत के लोग देवी-देवता तुल्य निष्काम कर्मयोगी विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप बन जाएगे तो कर्मभूमि पर देश-विदेश की सारी सीमाएं भी स्वतः ही मिट जायेगी| 

युग परिवर्तन का कार्य निराकार आध्यात्मिक दिव्य महाशक्ति द्वारा जम्मू-कश्मीर से कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से पूर्ण होगा| 21वी सदी में कल्कि ज्ञान सागर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को ईश्वर, अवतार व मानव का सत्यस्वरूप बताकर, मानव-मात्र को ईश्वर व अवतारवाद की धारणाओं से मुक्त करवा देगा| सत्कर्म और सेवा रूपी मानव-धर्म को विश्व धर्म बनाकर, सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के बीच धर्म के नाम पर बने जाति-संप्रदायवाद को जड़ से मिटा देगा| कर्मभूमि पर मानव जगत के सत्कर्म ही कलयुग को सतयुग में परिणित कर सतयुगी दुनिया का सृजन कर सकते है|

बतादे गीता, बाइबल समेत अनेक धर्मग्रंथो व विश्व के विश्वविख्यात अनेक भविष्यवक्ताओं द्वारा भविष्यवाणी में 20वी सदी के अंत में व 21वी सदी के प्रारंभ में युग परिवर्तन के बारे में बताया गया है| इसी क्रम में विश्व विख्यात भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने 500 वर्ष पूर्व अपनी भविष्यवाणी में बता दिया था की एक वक्त आएगा भारत पूरे विश्व पर शासन करेगा, दोस्तो भारत एक आध्यात्मिक देश है, विश्व पर अंग्रेजो की तरह शासन हरगिज नहीं कर सकता| अतः भारत विश्व धर्म गुरु बनकर मानव-मात्र के कल्याण के लिए पूरे विश्व पर धर्म शासन करेगा| नास्त्रेदमस की यह भविष्यवाणी अब साकार होने जा रही है|

भारत की पावन भूमि पर वीरो की भूमि राजस्थान प्रान्त में वाग्वरांचल की पावन धरा पर 300 वर्ष पूर्व कृष्णलीलावतार के रूप में प्रकट हुए मावजी महाराज ने भी अपनी भविष्यवाणी में राजस्थान के वाग्वरांचलजम्मू कश्मीर के आध्यात्मिक इतिहास व जुडाव के बारे में बता दिया था| 

ज्ञात रहे जब पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका का भारत में पुनः विलय हो जायेगा, भारत पुनः विश्व धर्म गुरु बनकर पूरे विश्व पर धर्म शासन करेगा, तब इसका श्रेय भारतवासी समेत उन सभी लोगों को प्राप्त होगा जो 1947 के बंटवारे के कारण भारत से जुदा होकर त्रासदियां सह रहे है, कल वो पुनः भारतवासी होने का गौरव प्राप्त करेंगे|

सम्पूर्ण मानव जगत की जानकारी के लिए हम बता देना चाहते है, कर्मभूमि पर देवभूमि जम्मू कश्मीर सम्पूर्ण मानव जगत के लिए स्वर्ग के समान है| क्योंकि देवभूमि जम्मू कश्मीर सुंदर सृष्टि के रचियता सम्पूर्ण सृष्टि के सभी जीव-जीवात्माओं के जन्मदाता पालनहार मानव जगत के परम माता पिता परमात्मा सगुण परब्रह्म बाबा अमरनाथ का पावन धाम है| अतः जम्मू कश्मीर को कर्मभूमि का देवलोक भी कह सकते है|

ईश्वर एक है उसके दो स्वरूप दो चरित्र है निर्गुण व सगुण| ईश्वर निर्गुण स्वरूप में सम्पूर्ण मानव जगत के लिए परम गुरुवर के रूप में ज्ञान-विज्ञान व मुक्ति का दाता है, वही सगुण स्वरूप में सम्पूर्ण मानव जगत के लिए जन्मदाता, पालनहार के रूप में माता-पिता के समान है| सुन्दर सृष्टि के रचियता अर्द्धनारीश्वर स्वरूप सगुण परब्रह्म का प्रतिक शिवलिंग माना गया है, क्योंकि सृष्टि का विस्तार नर और मादा द्वारा हुआ है| आध्यात्मिक ज्ञानानुसार सृष्टि के विस्तार का कारण सभी धर्म-संप्रदाय में समान रूप से माना गया है| अतः भक्ति-मार्ग में सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को सिर्फ अविनाशी सगुण परब्रह्म के प्रतिक शिवलिंग की पूजा करना चाहिए, सभी देवी-देवता व राम-कृष्ण भी शिवलिंग की पूजा किया करते थे|

ज्ञात रहे एक शिवलिंग के दर्शन व पूजा मात्र से सृष्टि के सभी देवी-देवताओं के दर्शन व पूजा हो जाती है| क्योकि सृष्टि के सभी देवी-देवता व मानव एक ही सगुण परब्रह्म के अनेक मायावी नश्वर रूप है| को ब्रह्म द्वितीयो नास्ति” ज्ञात रहे ईश्वर एक है उसके दो स्वरूप, दो चरित्र है, निर्गुण व सगुण सृष्टि के सभी देवी-देवता व मानव एक ही सगुण परब्रह्म के अनेकानेक मायावी नश्वर स्वरूप है|

सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के लिए सगुण परब्रह्म का प्रतिक शिवलिंग एक ऐसा धार्मिक प्रतिक है जो सभी धर्म-सम्प्रदाय को विश्व मानव परिवार को पुनः जोड़ सकता है| कर्मभूमि पर मानव-मात्र को सगुण परब्रह्म को जन्मदाता, पालनहार के रूप में नमन करते हुए, निर्गुण निष्कलंक निराकार परमब्रह्म को परम गुरुवर ज्ञान के दाता मानकर उसकी साधना करना चाहिए| मानव कर्मभूमि पर अपने जन्मदाता-पालनहार को नमन किये बिना अगर निराकार ईश्वर यानी ब्रह्म की साधना करता है तो वो निष्फल हो जाती है|  

सदियों पहले सऊदी अरब में मक्केश्वर महादेव का धाम मक्का मदीना बनकर, आज  इस्लाम धर्म सम्प्रदाय के लोगों की आस्था बना हुआ है| ज्ञात रहे जब इस्लाम धर्म सम्प्रदाय का उदय नहीं हुआ था तब सऊदी अरब में भी बुतों की पूजा होती थी| पैगाम्बर मोहम्मद साहब के आने के बाद सऊदी अरब के लोगों ने अपनी भूल को सुधारकर अनेक प्रकार के बुतों को पूजना बंद कर दिया, वो एक ईश्वरवादी बन गए और सनातन धर्म के अनुयाई आज भी अज्ञानतावश एक अविनाशी परब्रह्म को छोड़कर अनेक प्रकार के देवी-देवताओं को भगवान मानकर पत्थर, पानी, पशु, पेड़ की पूजा कर रहे है| जब की कर्मयोगी गीता ज्ञान दाता श्री कृष्णा ने गीता में साफ-साफ कहा है की एक अविनाशी को छोड़कर अनेक देवी-देवताओ की पूजा करना कराना मूढ़ बुद्धि के लोगों की देन है| अतः एक को जानों एक को मानो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं| 

अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार निर्गुण निराकार आत्मस्वरूप परमब्रह्म से सगुण साकार जीवात्मस्वरूप परब्रह्म का प्राकटय हुआ| सगुण परब्रह्म ने सृष्टि के सृजन और विस्तार के लिए एक होकर भी सृष्टि में अनेक प्रकार के जीव जीवात्माओ के मायावी नश्वर रूप धारण किये हुए है| सृष्टि में जो 84 लाख योनियों के जीव-जीवात्मा विचरण करते है वो एक ही अविनाशी सगुण परब्रह्म के अनेक मायावी नश्वर स्वरूप है, जिसमे एक मानव ही परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ कृति, सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, जिसका जीवन कर्म प्रधान है|

कर्मभूमि पर जिस कर्मयोगी ने स्वयं के भीतर विशाल ईश्वरीय वैभव को, स्वयं के विराट आत्मस्वरूप को, स्वयं के भीतर निर्गुण आत्मा व सगुण जीवात्मा के भेद को जान लिया उसने स्वयं के भीतर ही ईश्वर को पा लिया| कर्मभूमि पर उस कर्मयोगी का मानव जीवन सार्थक हो गया| आगे हम कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से मानव जगत को अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार निष्कलंक कल्कि अवतार के जम्मू-कश्मीर से संबंध के बारे में विस्तार से बताएगे| सत्यमेव जयते ॐ विश्व शांति|

 

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