आज का युग विकास का युग है वर्तमान समय युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय है| 21वी सदी को हम युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय मान सकते है, क्योंकि आज विज्ञान व आध्यात्मिक ज्ञान में मानव चेतना की जो मिसाल कायम हो रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है| 21वी सदी में कर्मभूमि पर मानव के रहन-सहन व धार्मिक सोच में बहुत तीव्रगति से बहुत बड़ा परिवर्तन आने वाला है|
कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, मानव को ईश्वर से ज्यादा स्वयं के सत्यस्वरूप को, स्वयं के विराट आत्मस्वरूप को जानने की जरुरत है| मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है, कर्मभूमि पर जो कार्य कर्मयोगी कर सकते है, वो ईश्वर व देवी-देवता नहीं कर सकते|
सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को युगानुसार अपनी धार्मिक सोच को बदलना होगा, धर्म के नाम पर हिंसा व रुढ़िवादियों को त्यागकर सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म का पालन करना होगा, मानव जगत के सत्कर्म ही कलयुग को सतयुग में परिणित कर, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन कर सकते है, मानव जगत के सत्कर्म पाप के बोझ तले दबी अपनी धरती माता को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बना सकते है|