निराकार को निराकार ही रहने दो अजन्में अनामी को कोई नाम न दो मैं कल्कि साधक कैलाश मोहन सम्पूर्ण मानव जगत को निराकार का सत्यस्वरूप बताने आया हूँ मैं सम्पूर्ण मानव जगत को ईश्वर और अवतरवाद की धारणाओं से मुक्त कराने आया हूँ, मैं भक्त नही तुम सबको भगवान बनाने आया हूँ|
न मंदिर में पत्थर के सनम होते, नहीं मस्जिद में खुदा होता|
न बना होता गिरजा घर प्रभु का, नही वाहेगुरु गुरूद्वारे में होता|
निराकार का कोई आकार न होता, नहीं अनामी का कोई नाम होता|
हम ही से बना है ये सारा तमाशा, वरना वो कभी हम से जुदा न होता|
आज तक जिस दिव्य महाशक्ति को कभी किसी ने देखा नहीं, उस दिव्य महाशक्ति के सत्यस्वरूप को कभी किसी ने जाना नहीं उस दिव्य महाशक्ति को मानते सब है और उससे डरते भी है, किन्तु उस अनादी, अजन्में, निष्कलंक, निराकार, एक ही परम महाशक्ति को अनेक नाम देकर धर्म के नाम पर अनेक जाति-सम्प्रदाय बनाकर आज सम्पूर्ण मानव जगत के लोग आपस में लड़ रहे है जिसके कारण कर्मभूमि पर धर्म के प्रति ग्लानी बढ़कर एक बार फिर से महाविनाश की संभावनाएं नजर आने लगी है| मैं कल्कि साधक कैलाश मोहन सम्पूर्ण मानव जगत को उस निराकार परम महाशक्ति का सत्यस्वरूप बताने आया हूँ, मैं सम्पूर्ण मानव जगत को ईश्वर और अवतारवाद की धारणाओ से मुक्त कराने आया हूँ| मैं सम्पूर्ण मानव जगत के लिए वो आध्यात्मिक ज्ञान लाया हूँ, जो कर्मभूमि पर मानव द्वारा रचित किसी भी धर्म ग्रंथ में नहीं मिल सकता और नहीं आगम में बताया है|
ज्ञात रहे हमारी धरती को बनकर अरबो वर्ष बीत चुके है और हमारा वर्तमान कलेंडर आज भी वर्ष 2024 की गणना कर रहा है और फिर से कर्मभूमि पर महाविनाश की संभावनाएं नजर आने लगी है| ज्ञात रहे कर्मभूमि पर विकास में हजारो वर्ष लग जाते है किन्तु महाविनाश के लिए कुछ ही पल काफी है, आज तक रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञान के अभाव में कर्मभूमि पर कितनी बार महाविनाश हुये है ये आप और हम नहीं सृष्टि का रचियता ही जान सकता है| ज्ञात रहे मैं जो भी आध्यात्मिक ज्ञान की बातें अपने मानव जगत को बता रहा हूँ वो मैं अपने हृदयस्त परम गुरुवर परमब्रह्म के संदेशानुसार स्वयं की अंतःप्रेरणा से बता रहा हूँ |
दोस्तो नहीं तो मैं कोई धर्म गुरु हूँ और नहीं मेरा अपना कोई संसारी धर्म गुरु है यह मेरा अपना ज्ञान नहीं ईश्वरीय ज्ञान है जो मुझे अपनी अंतः प्रेरणा से मिल रहा है मैं तो एक निमित्त मात्र हूँ जो ईश्वरीय ज्ञान से अपने विश्व मानव परिवार को अवगत करा रहा हूँ| ज्ञात रहे जिस प्रकार कर्मभूमि पर मुझे ईश्वरीय ज्ञान अपने हृदयस्त परम गुरुवर परमब्रह्म से मिल रहा है, उसी प्रकार मेरी तरह कर्मभूमि पर कोई भी कर्मयोगी निष्काम कर्मयोगी बनकर अपने हृदयस्त परम गुरुवर परमब्रह्म से ज्ञान प्राप्त कर सकता है| कर्मभूमि पर सभी कर्मयोगी आत्मज्ञानी बनकर, अपने मंगलमय जीवन के साथ अपना आत्मकल्याण कर सकते है| जिसने कर्मभूमि पर अपने भीतर आत्मस्वरुपता में विद्यमान परम गुरुवर परमब्रह्म को जाना उसका मानव जीवन सार्थक हो गया| जय अहिंसा, ॐ विश्व शांति, सत्यमेव जयते |