तीन लोको का संगम स्थल मानव तन वो पावन तीर्थ है जिसमें ईश्वर निर्गुण व सगुण दोनों स्वरूप में विधमान है…

अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार सृष्टि के सभी देवी-देवता व मनुष्य निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है| मानव सगुण परमात्मा परब्रह्म की सर्वश्रेष्ठ कृति सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, जिसे सगुण परमात्मा परब्रह्म स्वरूप माना जाता है|

मानव का भौतिक शरीर प्रकृति के पंचतत्वों से बना है, जिसके भीतर तीन-लोक का वैभव विधमान है| प्रकृति के पंचतत्वों से बना मानव का नश्वर भौतिक शरीर पृथ्वीलोकवासी है, जो महामाया प्रकृति के अधिन होता है| मानव के भीतर कर्मयोगी मनुष्यरूपी जीवात्मा देवलोकवासी है, जो सगुण परब्रह्म के अधिन होता है| मनुष्यरूपी जीवात्मा को कर्म करने का ज्ञान देने वाली आत्मा सतलोकवासी है| जो निर्गुण परमब्रह्म स्वरूप है|

कर्मभूमि पर मानव को सृष्टि की महामाया को पराजित कर, सगुण जीवात्मस्वरूप को त्यागकर विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनना होता है, कर्मभूमि पर इसी क्रिया की आत्मकल्याण कहा गया है| अकर्मी अविनाशी सतलोक में आत्मा बिना कोई कर्म किये शाश्वत सुख पाती है| मानव कर्मभूमि पर सगुण परमात्मा परब्रह्म द्वारा सृजित चलता फिरता पावन तीर्थ है, मानव के भीतर ईश्वर निर्गुण व सगुण दोनों स्वरूप में विधमान रहता है| आत्मज्ञानी बनो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं|

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