कर्मभूमि पर 21वी सदी को मानव जगत के लिए जिन्दगी और मौत के फैसले की घडी कहा जा सकता है| मानव जगत के पाप कर्मो के कारण वर्तमान में महाविनाश मानव जगत के सामने सीना ताने खड़ा है| कोरोना महामारी इसी बात का संकेत दे चुकी है| अब फैसला मानव जगत के हाथ में है, वो सत्कर्मी बनकर अपनी धरती माता को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बनाएं या अपने पाप कर्मो से सम्पूर्ण मानव जगत का नामोनिशान मिटा दे|
कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, इस समय युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय चल रहा है, मानव जगत के लोगो के लिए यही वो समय है करो या मरो, क्योंकि कर्मभूमि पर पाप का बोझ बढ़ चूका है, 2 और 5 साल की मासूम बच्चियों के साथ भी दुष्टाचार होने लगें है, नारी का शोषण होना, मानव जगत का पुरुष प्रधान बन जाना, कदम, कदम पर अत्याचार, दुष्टाचार, भ्रष्टाचार व हिंसा का नंगा तांडव होना, जिसके कारण मानव जगत के सज्जन लोगों का जीवन नरक तुल्य बनता जा रहा है|
कर्मभूमि पर मानव जीवन कर्म प्रधान है, मानव जगत के कर्मो के अनुसार ही कर्मभूमि पर युग परिवर्तन होते है, जब धरती पर पाप का बोझ अत्यधिक बढ़ जाता है तो महाविनाश होकर सृष्टि का नवीन सृजन होता है| धरती को बनकर करोड़ो वर्ष बीत गये, कर्मभूमि पर कर्मयोगी मानव जाति का जन्म होकर भी लाखो वर्ष बीत गये, किन्तु मानव जगत का वर्तमान कलेंडर आज भी मात्र 2023 वर्ष की गणना कर रहा है और धरती पर पाप का बोज़ फिर से बढ़ गया है| पाप के कारण धरती पर कभी भी महाविनाश होकर मानव जाति का नामों निशान मिट सकता है, धर्म ही धरती को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बना सकता है|
रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञान के आभाव में, मानव कर्मभूमि पर अपने नश्नवर भौतिक शरीर को ही अपना सत्य स्वरूप मानकर जीवन भर नश्वर शरीर के लिए कर्म करता रहता है| नश्वर शरीर की मायावी दृष्टि के कारण मानव मोहमाया मै कैद होकर तामसिक प्रवृति का भी बन जाता है, आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में धरती पर आज तक महाविनाश ही होते आये है| बार-बार महाविनाश होने के कारण सुन्दर सृष्टि के रचियता परम माता-पिता परमात्मा सगुण परब्रह्म का सुन्दर सृष्टि सृजन का सपना आज तक साकार नहीं हो पाया, इसे मानव जगत के सत्कर्म ही साकार कर सकते है|
हमारे परम माता-पिता परमात्मा परब्रह्म कर्मभूमि को स्वर्ग से भी ज्यादा सुन्दर बनाना चाहते है| हमारी धरती माता को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बनाना चाहते है| अपनी संतान को कर्मभूमि पर ही स्वर्ग-सुख देना चाहते है| कर्मभूमि को अकर्मी लोक बनाकर मानव-मात्र को अपने समान दिव्यता प्रदान करना चाहते है| कर्मभूमि को सतलोक बनाकर मोक्ष को भी धरती पर स्थापित करना चाहते है| परमात्मा परब्रह्म चाहते है मनुष्यरूपी जीवात्मा कर्मभूमि पर भौतिक शरीर में रहते हुए भी विराट आत्मस्वरुपता में सम्पूर्ण ब्रह्मांड का स्वामी बनकर सम्पूर्ण ब्रह्मांड में भ्रमण करने का आनन्द ले सके| किन्तु मानव जगत के लोगों की नादानी की वजह से परम माता-पिता परमात्मा के सारे के सारे सपने बस सपने बनकर रह गए|
जब तक कर्मभूमि परअविनाशी सतयुगी दुनिया का सृजन होकर कर्मभूमिअविनाशी स्वर्ग नहीं बन जाति तक तक मानव के लिए अन्तरिक्ष में निवास करने के द्वार नहीं खुल सकते| इसलिए परमात्मा परब्रह्म अपने सपनो को साकार करने के लिए ही हर महाविनाश के बाद पुनः नई सृष्टि का सृजन करते आयें है| अगर मानव जगत चाहे तो अब कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से अपने परम माता-पिता परमात्मा सगुण परब्रह्म के सपनो को साकार कर अपना मानव जीवन सार्थक बना सकता है| किसी को मरकर स्वर्ग और मोक्ष नही जाना पड़ेगा|
21वी सदी को युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय कह सकते है| कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए भारत की पावन भूमि पर, वीरों की भूमि राजस्थान प्रान्त में, वागड़ अंचल के नाम से विश्व विख्यात डूंगरपुर, बांसवाडा जिले में लोढ़ी काशी के नाम से विख्यात धर्म नगरी बांसवाडा शहर में 31 दिसम्बर 2016 रात्रि 12 बजे सर्वधर्म संप्रदाय के सैकड़ो गणमान्य नागरिको व हजारो धर्म प्रेमी लोगों के बीच लहेरी आश्रम के संत सुमेरसिंह जी व गौ भक्त मोहम्मद फैजखान के सानिध्य में कल्कि साधक विश्व धर्म रक्षक कैलाश मोहन द्वारा सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के लिए, जाति, धर्म-संप्रदाय व धार्मिक स्थल रहित सत्कर्म और सेवा रूपी नविन विश्व धर्म, कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना हो चुकी है|
मानव परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ कृति सृष्टी का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, मानव को देवी-देवताओ से भी श्रेष्ठ माना गया है| कर्मभूमि पर मनुष्य योनि में जन्म पाने के लिए देवी-देवता भी तरसते है| परम माता-पिता परमात्मा ने मानव को सम्पूर्ण ब्रह्मांड का स्वामी बनाने के लिए कर्मभूमि पर उतारा है नरक जैसी यातनाएं देने के लिए नहीं|
युग परिवर्तन की संधिवेला संगम युग में कर्मभूमि पर तेज गति से विकास होना व युगानुसार नवीन विश्व धर्म की स्थापना होकर मानव जगत के बीच मानव धर्म की प्रभावना होना, इस बात का प्रमाण है कि कर्मभूमि पर ईश्वरीय कृपा बरसने लगी है| सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को युगानुसार धर्म के नाम पर रुढ़िवादी व हिंसक प्रवृतियों का त्यागकर सत्कर्मी निष्काम कर्मयोगी बनना होगा, कर्मभूमि पर विश्व शांति के लिए देश विदेश की सीमाओं को मिटाना होगा| कल्कि ज्ञान सागर का सन्देश पूरी धरती सबका देश| हम सब एक है सबका स्वामी एक, जिओ और जीने दो, सबकी सेवा सबसे प्यार| सत्कर्मी बनो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओ|