जो ईश्वर मानव तन के भीतर विद्यमान है, वो बाहर धार्मिक स्थलों में कैसे मिल सकता है?…

अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार ईश्वर एक है उसके दो स्वरूप दो चरित्र है, सृष्टि के सभी देवी देवता व मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है| अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन में ईश्वर के निर्गुण व सगुण स्वरूप के बीच अनोखा रहस्यमय खेल चल रहा है| इस खेल में दिव्य महाशक्ति ब्रह्म के अलावा दूसरा कोई भी नहीं है, जो दिव्य महाशक्ति निर्गुण स्वरूप में एक है वही मायावी सगुण स्वरूप में अनेक रूप धारण किये हुए है| एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति निर्गुण ईश्वर आत्मस्वरुपता में व सगुण ईश्वर जीवात्मस्वरूपता में मानव-मात्र के भीतर विद्यमान रहते है|

निर्गुण ईश्वर सृष्टि के सभी देवी-देवता व सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो के लिए आत्मस्वरुपता में परम गुरुवर ज्ञान-विज्ञान का दातार बना हुआ है, वही ईश्वर सगुण जीवात्मस्वरूप में सभी देवी-देवताओं व सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो के लिए, सृष्टि के सभी जीवो के लिए जन्मदाता, पालनहार बना हुआ है| जिसने कर्मभूमि पर स्वयं व ईश्वर के सत्यस्वरूप को जाना उसका मानव जीवन सार्थक हो गया| 

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