कर्मभूमि के आध्यात्मिक खंड भारत की पावन भूमि पर देवभूमि जम्मू कश्मीर महानपुर के शांति वन में माता वनखंडी सीता माता के पावन धाम पर सर्वधर्म समाज के गणमान्य नागरिकों द्वारा विश्व शांति के लिए अहिंसा सर्वधर्म ध्वज फहराया गया| ज्ञात रहे कालदोष के कारण अज्ञानतावश धरती पर धर्म और ईश्वर के नाम पर अनेक प्रकार के धर्म ग्रंथ, धार्मिक स्थल, जाति, पंत, संत, संप्रदाय बन जाने के कारण कर्मभूमि पर धर्म की हानि होने लगी है| वर्तमान समय में कर्मभूमि पर पाप का बोझ बढ़ जाने के कारण कोरोना जैसी महामारी, भूकम्प व तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं, विश्व के शक्तिशाली देशो के बीच आपसी तकरार विश्व युद्ध का संकेत दे रही है जिसके कारण कर्मभूमि पर कभी भी महाविनाश होकर मानव जाति का नामो निशान मिट सकता है|
कर्मभूमि पर पुरुषो ने अपने आप को शक्तिरूपा नारी से शक्तिशाली मानकर पुरुष प्रधान दुनिया बना दी है, पुरुष पति परमेश्वर बन गया और पत्नी को दासी बना दिया, जब कि अद्धभूत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार नर और नारी एक ही सिक्के के दो पहलू है, ज्ञात रहे परमेश्वर का सत्यस्वरूप अर्द्धनारीश्वर है इसलिए आध्यात्मिक ज्ञानानुसार पत्नी को अर्द्धांगनी माना गया है| शास्त्रो के अनुसार नारी पर अत्याचार के बारे में माता सीता और भगवान राम का भी वृतांत आता है, धोबी द्वारा माता सीता पर कलंक लगाने के कारण भगवान राम अपनी गर्भवती पत्नी सीता को त्याग देते है और माता सीता को संत वाल्मीकि आश्रय देते है, माता सीता अपनी संतान को संत वाल्मीकि आश्रम में जन्म देती है|
जब राम ने पत्नी सीता को अग्नि परीक्षा देने की बात कहीं तो माता सीता अपनी पवित्रता और पतिव्रता की परीक्षा देने के लिए धरती में समाहित हो गई| मर्यादा पुरुषोत्तम राम के इस चरित्र से माता शक्तिरूपा नारी पर अत्याचार हुआ है, नारी शक्ति का अपमान हुआ है| इस वृतांत में कितनी सच्चाई है? मानव जगत को राम के इस चरित्र से क्या शिक्षा मिलती है? ये तो राम ही जाने|
ज्ञात रहे नारी पर अत्याचार करना मतलब प्रकृति और सृष्टि रूपा शक्ति माता का अपमान करना है क्योंकि सृष्टि की रचियता तो जग जननी माता शक्ति ही है, माता शक्ति ने ही सतरूपा के रूप में अपनी कोख से प्रथम पुरुष को जन्म दिया और सृष्टि का विस्तार हुआ| माता शक्ति ही पुरुष के लिए नारी के रूप मे अनेक रूप धारण करती है, माता शक्ति जब पुरुष को जन्म देती है तो सर्वप्रथम माता स्वरूप है, इसके बाद माता शक्ति एक नारी को जन्म देती है, अतः माता शक्ति पुरुष के लिए बहन बनती है, इसके बाद पत्नी बनती है और अंत में बेटी बन जाती है और माता शक्ति चारों रूप में पुरुष को प्रेम करती है, पुरुष की सेवा करती है|
त्याग और सेवा का प्रतिक माता शक्ति का नारी स्वरूप हर रूप में पूजनीय है, किन्तु पुरुष स्वयं को जग जननी माता शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली मानकर शक्ति रूपा नारी पर अत्याचार करने लगा है| आज धरती पर रावण से भी बुरे इंसान है, कालदोष के कारण बाप-बेटी, भाई-बहन जैसे पवित्र रिश्ते भी कलंकित होने लगे है, इस कलयुग में बेटी बाप के पास रहकर भी सुरक्षित नहीं है तो और किसी के पास कैसे सुरक्षित रह सकती है| आज हम प्रत्यक्ष देख भी रहे है हमारे देश में महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ आए दिन दुष्टाचार हो रहे है| एक समय था हमारा देश एक आध्यात्मिक देश और विश्व धर्म गुरु के नाम से विश्व विख्यात था, किन्तु आज मांस की मंडी और दुष्टाचारियों का देश बन गया है| विश्व धर्म गुरु कहे जाने वाले भारत में धर्म के नाम पर जाति-संप्रदाय बन जाने के कारण धर्म के प्रति ग्लानि बढ़ने लगी है जिसके कारण धरती नरक स्वरूप बनती जा रही है|
कर्मभूमि पर वर्तमान समय युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय चल रहा है, युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग मे कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए परम ज्ञानेश्वर, परम गुरुवर परमब्रह्म कर्मभूमि पर कल्कि ज्ञान सागर स्वरूप अवतरित होकर कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से सोशल मीडिया पर अनेक हाथो से मानव जगत को कर्म करने का ज्ञान प्रदान करवा रहे है| कल्कि ज्ञान सागर ही सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को निराकार परमब्रह्म का सत्यस्वरूप और मानव धर्म की सत्य परिभाषा बताकर कर्मभूमि पर धर्म और ईश्वर के नाम पर बने जाति-सम्प्रदायवाद को जड़ से मिटाने वाले है| आध्यात्मिक ज्ञान और विज्ञान के अनुसार सम्पूर्ण मानव जगत को ईश्वर व मानव का सत्यस्वरूप बताकर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को ईश्वर व अवतारवाद की धारणाओं से मुक्त कराने वाले है| इसलिए आज के विकास के युग में निष्कलंक, निराकार, निर्गुण परमब्रह्म युगानुसार अपने सत्यस्वरूप में ज्ञान व आत्मशक्ति स्वरूप प्रकट हुए है|
आज के विकास के युग में युगानुसार कर्मभूमि पर ईश्वर का आखरी अवतार सम्पूर्ण मानव जगत को ईश्वर और अवतारवाद की धारणाओं से मुक्त कराने वाला है इसलिए इस बार कर्मभूमि पर धर्म की स्थापना व प्रभावना के कार्य भी निर्गुण परमब्रह्म कर्मभूमि पर स्वयं निराकार रहकर निराकार नेट के माध्यम से धर्म की प्रभावना करवा रहे है और वो भी अनेक हाथो से | ज्ञात रहे आज के विकास के युग में निराकार परमब्रह्म ने कल्कि अवतार के रूप में कर्मभूमि पर अवतरित होने से पहले ही सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को मोबाइल की छोटी-सी सीम के माध्यम से जोड़कर एक छोटा-सा विश्व मानव परिवार बना दिया है| सम्पूर्ण मानव जगत को वसुधैवकुटुंबकुम का स्वरूप प्रदान कर अनेक हाथो से सतयुगी धर्म की प्रभावना कराते हुये, मानव जगत के सभी धर्म प्रेमी लोगों द्वारा कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए कल्कि अवतार बना दिया है| आज सम्पूर्ण मानव जगत के लोग अपने-अपने मोबाइल कंप्यूटर के माध्यम से सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म की प्रभावना कर रहे है|
कर्मभूमि पर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को ईश्वरीय संदेशानुसार आध्यात्मिक ईश्वरीय ज्ञान प्रदान कराने के लिए, कल्कि साधक कैलाश मोहन द्वारा जम्मू-कश्मीर माता वनखंडी सीता माता के पावन धाम पर विश्व शांति के लिए सैकड़ो सर्वधर्म संप्रदाय के धर्मप्रेमी लोगों के बीच अहिंसा सर्वधर्म ध्वज फहराया गया| इसी क्रम में सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को युगानुसार कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से कर्म करने का ज्ञान प्रदान कराने के लिए जम्मू कश्मीर में माता वनखंडी सीता माता के पावन धाम पर कल्कि ज्ञान सागर गुरुकुल का सृजन कार्य का शुभारम्भ किया गया है|
कर्मभूमि पर ईश्वरीय आध्यात्मिक ज्ञानानुसार सभी कर्मयोगी राम, रहीम, ईसा, गुरुनानक, बोद्ध, महावीर, मोहम्मद, कृष्ण, कबीर की तरह ही अपने भीतर विद्यमान हृदयस्त निराकार परमब्रह्म से योग लगाकर कर्म करने का ज्ञान ग्रहण कर सकते है और कर्मभूमि पर राम, रहीम, ईसा, गुरुनानक, बोद्ध, महावीर, मोहम्म्द, कृष्ण, कबीर की तरह ईश्वरीय ज्ञान की प्रभावना करते हुए अपने मंगलमय जीवन के साथ अपना आत्मकल्याण भी कर सकते है| जय अहिंसा, ॐ विश्व शांति, सत्यमेव जयते |