अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार “एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति” सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक ब्रह्म ही परम सत्य है, उसे विदित किये बिना इस संसार से मानव के लिए मुक्ति का और कोई उपाय नही है| एक ही ब्रह्म के दो स्वरूप दो चरित्र है निर्गुण व सगुण| निर्गुण ब्रह्म के निमित से विशाल ब्रह्मांड की उत्पत्ति होकर उसके सगुण स्वरूप का प्राकटय हुआ, जिसे प्रभु से प्रकट हुई महामाया भी कहते है|
निर्गुण ईश्वर के सगुण स्वरूप द्वारा सुन्दर सृष्टि का सृजन होकर सृष्टि में अनेक प्रकार के जीव-जीवात्माओं की उत्पत्ति हुई, जिनमें मानव सगुण परमात्मा परब्रह्म की सर्वश्रेष्ठ कृति सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानव का जन्म हुआ| कर्मभूमि पर मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है, मानव का जीवन कर्म प्रधान है, मानव कर्म करने में स्वतंत्र है कर्मफल पाने में नहीं, जैसी करनी वैसी भरनी कर्मफल का अटल सिद्धांत है|
कर्मभूमि पर मानव को कर्म करने का ज्ञान देने के लिए समय-समय पर निर्गुण ईश्वर का सगुण परब्रह्म स्वरूप मानव के ह्रदय में ज्ञानस्वरूप भव्य अवतरण होता आया है| कर्मभूमि पर जिस निष्काम कर्मयोगी के ह्रदय में ईश्वर का अवतरण होता है, ईश्वर जिस निष्काम कर्मयोगी को धरती पर धर्म की स्थापना व प्रभावना के कार्य करने के लिए निमित्त बनाते है, मानव जगत के लोग उसे ईश्वर का प्रतिनिधि व सम्पूर्ण मानव जगत का धर्म गुरु मान सकते है|
कर्मभूमि पर अपने सभी प्रतिनिधियो को ज्ञान देने वाला परम गुरुवर एक ही है, किन्तु अज्ञानतवश मानव जगत के लोगों ने उन प्रतिनिधियों को, अपने धर्म गुरुओ को लेकर धर्म धर्म व ईश्वर के नाम पर अनेक प्रकार के जाति-संप्रदाय बना दिए, जिसके कारण धरती पर धर्म के प्रति बढती ग्लानी बढने लगी है| धरती पर अत्यधिक पाप का बोझ बढने पर कभी भी महाविनाश होकर मानव जाति का नामों निशान मिट सकता है| एक को जानो एक को मानो, सत्कर्मी बनकर अपनी धरती को अविनाशी स्वर्ग बनाओ| भेदभाव को छोड़ो जन जन से नाता जोड़ो, अपना मानव जीवन सार्थक बनाओ|