कर्मभूमि पर जब जब धर्म के प्रति ग्लानी बढ़ती है तब ईश्वर कर्मभूमि पर किसी न किसी निष्काम कर्मयोगी को निमित बनाकर कर्मभूमि पर पुनः धर्म की स्थापना व प्रभावना के कार्य करवाता है| वर्तमान समय युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय चल रहा है, संगमयुग में कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए भारत की पावन भूमि पर वीरों की भूमि राजस्थान प्रान्त में लोढ़ी काशी वाग्वरांचल के नाम से विख्यात धर्म नगरी बांसवाडा में कल्कि साधक कैलाश मोहन द्वारा 31 दिसंबर 2016 रात्रि 12 बजे सर्वधर्म संप्रदाय के सैकडों गणमान्य नागरिक व हजारों धर्म प्रेमियों के बीच नवीन विश्व धर्म जाति संप्रदाय रहित कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना की गई|
नवीन विश्व धर्म की स्थापना के बाद कल्कि साधक कैलाश मोहन ने अपनी अहिंसा संस्थान के उपाध्यक्ष राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक मोहम्मद फैज खान के साथ मिलकर| अपने देशवासियों को अहिंसा रथ के माध्यम से गौ सेवा, अहिंसा, धार्मिक एकता, सामाजिक एकता, राष्ट्रीय एकता, कौमी एकता व प्रेम भाईचारे का सन्देश देने के लिए बांसवाडा कल्कि विश्व शांति अहिंसा भवन से जम्मू कश्मीर के लिए 20 जून 2017 को अहिंसा रथ के साथ प्रस्थान किया|
जम्मू कश्मीर की आवाम के बीच पहुँचने के बाद कैलाश मोहन ने जाना कि जम्मू कश्मीर लोग शांति के उपासक है, जम्मू कश्मीर मे शांति हथियारो व हिंसा से नहीं आध्यात्मिकता, प्रेम-भाईचारे व अहिंसा से आ सकती है| अहिंसा संस्थान जम्मू कश्मीर में शांति के लिए अपना कार्यालय स्थापित कर, कश्मीर के भटके हुए लोगो को सत्कर्म व सेवा रूपी मानव धर्म का मार्ग बताएगी|
ज्ञात रहे जम्मू कश्मीर की पावन भूमि बाबा अमरनाथ, माता वैष्णोदेवी, सीता माता का पावन धाम है, भला स्वर्ग से सुंदर इस पावन भूमि पर खून खराबा क्यों हो रहा है? मानव धर्म ही जम्मू कश्मीर में शांति स्थापित कर सकता है, नफरत नहीं| आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर समेत समस्त भारत के इस्लाम धर्म के अनुयायी विश्व शांति के लिये अपनी शानदार भुमिका निभायेंगे| ज्ञात रहे भारत की पावन भूमि से ही इस्लाम की महानता विश्व विख्यात होगी| विश्व शांति के लिए जरूरी है सबसे पहले हम धर्म और ईश्वर के नाम पर बने जाति-संप्रदायवाद को जड़ से मिटा दे, हम अपने अल्लाह, ईश्वर को अनेक प्रकार के धार्मिक स्थल और धर्म ग्रंथो से मुक्त करा दे | ज्ञात रहे हम सब एक है सबका स्वामी एक, एक धर्म…..एक धरती…..एक सबका परमात्मा…..भिन्न भिन्न है जीवात्मस्वरूप में हम…..आत्मस्वरूपता में हम सब एक| ज्ञात रहे सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के लिए सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है| सबकी सेवा सबसे प्यार की भावना ही हमारी कर्मभूमि को महाविनाश से बचाकर अविनाश स्वर्ग बना सकती है किसी को मरकर स्वर्ग नहीं जाना पड़ेगा | जय अहिंसा, ॐ विश्व शांति, सत्यमेव जयते|