युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, गीता-बाइबल समेत विश्व विख्यात अनेक धर्मग्रंथो व भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी के अनुसार कर्मभूमि के आध्यात्मिक खंड भारत की पावन भूमि पर वीरो की भूमि राजस्थान प्रान्त में आदिवासी बहुल बांसवाडा-डूंगरपुर जिला जो कि लोढ़ी काशी एवं वाग्वरांचल के नाम से विश्व विख्यात है, उस वाग्वरांचल की पवित्र धरा पर युगानुसार कर्मभूमि पर धर्म की प्रभावना करने के लिए ईश्वरीय संदेशानुसार कल्कि साधक कैलाश मोहन द्वारा नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमो धर्म की स्थापना हो चुकी है| नवीन विश्व धर्म की प्रभावना कल्कि साधक कैलाश मोहन द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से स्थानीय, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निरंतर की जा रही है|
वाग्वरांचल की आध्यात्मिक धरा पर कल्कि अवतरण के बारे में जानकारी लेने गुजरात से बाँसवाड़ा कल्कि विश्व शांति अहिंसा भवन पर आए शंकराचार्य परंपरा के स्वामी विश्व आनंद को कल्कि साधक कैलाश मोहन ने बताया की यह बात परम सत्य है निराकार कभी साकार प्रकट नहीं होता और इंसान का नश्वर शरीर कभी भगवान, अवतार, पैगाम्बर, तीर्थकर नहीं बन सकता। अवतार उसे कहते है जो कर्मभूमि पर मनुष्य रूपी जीवात्माओं को नश्वरता से मुक्ति दिलाने संसार रूपी भवसागर से तारने के लिए कर्मभूमि पर किसी निष्काम कर्मयोगी के ह्रदय में अवतरित होता है| ज्ञात रहे उस निराकार दिव्य महाशक्ति, सम्पूर्ण सृष्टि के सभी जीवों के परम हितेषी तारणहार का कर्मभूमि पर जन्म-मरण नहीं किसी निष्काम कर्मयोगी के हृदय में ज्ञान एवं आत्मशक्ति स्वरूप भव्य अवतरण होता है।
अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार, सभी धर्मग्रंथो व भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणीनुसार, पूर्ण प्रमाण के साथ मुझ कल्कि साधक कैलाश मोहन द्वारा स्वयं की अंतःप्रेरणानुसार, अपने हृदयस्थ परम गुरूवर परमब्रह्म के संदेशानुसार बाँसवाड़ा शहर के कुशलबाग मैदान में सर्वधर्म संत समाज के सानिध्य में, सैकड़ो गणमान्य नागरिक, हजारों धर्मप्रेमी लोगों व कल्कि भक्तों के साथ 31 दिसम्बर 2016 रात्री 12 बजे जाति-संप्रदाय, धर्म ग्रंथ और धार्मिक स्थल रहित कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना हो चुकी है। ज्ञात रहे ईश्वरीय कार्य हेतु कर्ता और ज्ञान का दातार मेरा नश्वर भौतिक शरीर नहीं, मेरे ह्रदय के भीतर विद्यमान निराकार परम गुरूवर निर्गुण परमब्रह्म है, सगुण परब्रह्म स्वरूप मेरा नश्वर भौतिक शरीर एक रथ के सामान है, जिसके सारथी मेरे परम गुरूवर निर्गुण परमब्रह्म है।
उपरोक्त आध्यात्मिक कार्य के लिए हजारो वर्ष पहले बाइबल और गीता समेत अनेक धर्म ग्रंथो में भी भविष्यवाणियां हो चूकी है एवं सैकड़ो वर्ष पहले विश्वविख्यात भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस, मावजी महाराज समेत विश्व के अनेक भविष्यवक्ता भी अपनी भविष्यवाणी में बता चूके है की 20वी सदी के अंत में और 21वी सदी के प्रारंभ में भारत में आध्यात्मिक क्रांति का आगाज होगा। यही भविष्यवाणीयां अब भारत की पावन भूमि पर वीरो की भूमि राजस्थान प्रांत के आध्यात्मिक वाग्वरांचल की पावन धरा पर धर्म नगरी बाँसवाडा शहर में साकार होने जा रही है।
युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में कल्कि ज्ञान सागर कलयुग को सतयुग में परिणित कर सतयुगी दुनिया का सृजन करेगा और कर्मभूमि को हमेशा के लिए अविनाशी स्वर्ग बना देगा। अद्भूत रहस्यमय मायावी सुन्दर सृष्टि के रचियता हमारे परम माता-पिता परमात्मा सगुण परब्रह्म ने सुन्दर सृष्टि की रचना की थी, किन्तु अरबो वर्षों में भी सगुण परमात्मा परब्रह्म का सुन्दर सृष्टि का सपना आज तक साकार नहीं हो सका, अपने परम माता-पिता परमात्मा सगुण परब्रह्म के इस सपने को अब कल्कि ज्ञान सागर साकार करने जा रहा है|
अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार कल्कि ज्ञान सागर कर्मभूमि पर ईश्वर व अवतारवाद की धारणाओं को जड़ से मिटा देगा| ज्ञात रहे सतयुगी दुनिया का सृजन होने के बाद कर्मभूमि अजर-अमर, अविनाशी स्वर्ग बन जाएगी, इसके बाद कर्मभूमि पर कभी युग परिवर्तन नहीं होंगे। जब सम्पूर्ण मानव जगत सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म को अंगिकार कर लेगा तो पूरी कर्मभूमि पर देश-विदेश की सीमाएं मिट जाएगी| विकसित व विकासशील देश अंतरिक्ष में धरती जैसी अनेक दुनिया बसाएंगे। आज हथियारो पर जो पैसा खर्च हो रहा है वो पैसा मानव सेवा और विकास में काम आएंगा| विज्ञान द्वारा समुन्द्र का खारा पानी भी मिठा हो जाएगा धरती पर कभी पानी की कमी नहीं होगी| ज्ञात रहे युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में खाड़ी देशो में समुद्र के खारे पानी को विज्ञान पद्धति द्वारा मीठा करने की शुरूआत भी हो चूकी है।
कल्कि साधक कैलाश मोहन ने स्वामी को बताया हम पिछले 18 महीनो से राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा रथ के माध्यम से सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की प्रभावना भी कर रहे है। अहिंसा रथ के साथ राष्ट्रीय मुस्लिम एकता मंच के संयोजक एवं अहिंसा संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद फैजखान अपने देशवासीयो को गौसेवा सद्भावना, कौमी एकता, प्रेम-भाईचारे का संदेश देने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी और कन्याकुमारी से अमृतसर के लिए पैदल भारत परिक्रमा कर रहे है। बाँसवाड़ा से निकला अहिंसा रथ अब तक देश के 9 राज्यो में भ्रमण कर चूका है।
कैलाश मोहन द्वारा किए जा रहे ईश्वरीय कार्य से प्रभावित होकर, स्वामी विश्व आनन्द जी ने विश्व भर में साथ कार्य करने की मंशा जाहिर की। इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर से भी माता वनखंड़ी पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के मंहत भगवानदास अहिंसा संस्थान के आध्यात्मिक कार्य से प्रभावित होकर कल्कि अवतरण और वाग्वरांचल के आध्यात्मिक महत्व को जानने के लिए पांच दिन के प्रवास पर आ चूके है| महंत जी ने भी जम्मू कश्मीर सहित पूरे विश्व में शांति स्थापित करने के लिए अहिंसा संस्थान के साथ कार्य करने की मंशा जाहिर की।
कैलाश मोहन ने संगोष्ठी के दरमियान स्थानीय मीडिया को बताया हमारी अहिंसा संस्थान का मकसद अनेकता में एकता हिन्द की विशेषता को, अनेकता में एकता विश्व की विशेषता में बदलना है| आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए हम कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से पूरी कर्मभूमि पर देश-विदेश की सीमाओ को मिटाना चाहते है, हम कर्मभूमि के सभी लोगो को विश्व नागरिकता प्रदान कराना चाहते है| कल्कि ज्ञान सागर का संदेश पूरी धरती सबका देश| ज्ञात रहे कर्मभूमि पर विकास में हजारो वर्ष लग जाते है, महाविनाश के लिए कुछ ही पल काफी है| अतः मानव जगत को तीसरे विश्व युद्ध से बचने के लिए अपने भीतर की तीसरी आँख का उपयोग करना होगा| आध्यात्मिक मार्ग से ही विश्व में शांति कायम होगी……..
युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए दिव्य परम महाशक्ति का कर्मभूमि पर कल्कि ज्ञान सागर के रूप में ज्ञानस्वरूप भव्य अवतरण हो चुका है| ज्ञात रहे कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से धर्म और ईश्वर के नाम पर सम्पूर्ण मानव जगत को अनेक प्रकार के धार्मिक स्थल, धर्म ग्रंथ, जाति-संप्रदायवाद से मुक्त करवा दिया जाएगा | ज्ञात रहे कर्मभूमि पर मानव के लिए सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है और मानव धर्म की सत्कर्म और सेवा के अलावा दूसरी कोई परिभाषा नहीं है|
कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए कर्मभूमि पर सभी धार्मिक स्थलो को कल्कि मानव सेवा संस्थान में बदल दिया जाएगा| इस सेवा संस्थान में असहाय लोगो को आश्रय दिया जाएगा| मानव सेवा संसथान के साथ ही गुरुकुल भी होगा, जो मानव जगत के लोगों के बीच कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म की प्रभावना करेगा| इस प्रकार आने वाले समय में सम्पूर्ण विश्व में सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म विश्व धर्म होगा| कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से सतयुगी दुनिया का सृजन होकर विश्व में शांति कायम होगी, कर्मभूमि अविनाशी स्वर्ग बनेगी और भारत बनेगा पुनः विश्व धर्म गुरु, सत्कर्मी बनो सुखी रहो|
जय अहिंसा ॐ विश्व शांति सत्यमेव जयते |