अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार अरबों वर्ष पहले निर्गुण परमब्रह्म की इच्छाशक्ति से विशाल ब्रह्मांड की उत्पति होकर निर्गुण परमब्रह्म से सगुण परब्रह्म का प्राकट्य हुआ इसे निर्गुण परमब्रह्म से प्रकट हुई महामाया भी कहते है| सगुण परब्रह्म द्वारा सुन्दर सृष्टि का सृजन हुआ, इसके बाद सृष्टि में कर्मभूमि का सृजन होकर मानव का जन्म हुआ| जब से कर्मभूमि पर मानव का जन्म हुआ, तब से वेदों पर आधारित सनातन धर्म ही मानव-धर्म के रूप में विश्व धर्म रहा है| कर्मभूमि पर सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसका कोई संस्थापक व स्थापना दिवस नहीं है, सत्कर्म और सेवा रूपी सनातन धर्म ही मानव-धर्म के रूप में अनादीकाल से चलता आ रहा है|
कालदोष के कारण अज्ञानतावश सनातन धर्म के कुछ लोग एक निष्कलंक, निराकार, दिव्य महाशक्ति के नाम पर अनेक प्रकार के देवी-देवताओ, पत्थर, पानी, पशु, पेड़, सर्प को भगवान मानकर पूजने लगे| इसी के साथ धर्म के नाम पर अनेक प्रकार की रुढ़िवादियो का जन्म हुआ, जिसके कारण कर्मभूमि पर मानव-धर्म के नाम पर अनेक प्रकार के जाति, धर्म-संप्रदाय का उदय होता गया|
सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में हरि विष्णु के सात अवतार होने के बाद 9057 वर्ष ईसा पूर्व स्वयंभुव मनु हुए, उन्हें ऋषभदेव के नाम से जाना गया। तब कर्मभूमि पर सम्पूर्ण मानव जगत के लिए वेदो पर आधारित मानव धर्म ही विश्व धर्म के रूप में प्रचलित था, इसे सनातन धर्म के नाम से जाना गया।
इसके बाद 6673 ईसा पूर्व वैवस्वत मनु हुए, तब भी कर्मभूमि पर सनातन धर्म ही मानव-धर्म के रूप में प्रचलित रहा। इसके बाद 5114 वर्ष ईसा पूर्व त्रैता में जब श्रीराम द्वारा मानव-धर्म की प्रभावना हुई, तब भी कर्मभूमि पर सनातन धर्म ही मानव-धर्म के रूप में प्रचलित रहा।
इसके बाद 3112 वर्ष ईसा पूर्व श्रीकृष्ण द्वारा मानव-धर्म की प्रभावना हुई, तब भी कर्मभूमि पर सनातन धर्म ही मानव-धर्म के रूप में प्रचलित रहा। इस प्रकार कर्मभूमि पर अनादिकाल से चला आ रहा वेदो पर आधारित सनातन धर्म ही विश्व-धर्म के रूप में मानव मात्र का धर्म रहा है। किन्तु कालदोष के कारण कलयुग में धार्मिक मान्यताओं को लेकर मानव-धर्म के नाम पर नए-नए धर्म-सम्प्रदाय का उदय होने लगा।
इसी क्रम में कलयुग में सर्वप्रथम 2000 वर्ष ईसा पूर्व में पैगम्बर इब्राहिम द्वारा एकेश्वरवाद एक ईश्वर में विश्वास रखने वाले धर्म की शुरूआत हुई, जिसमें ईश्वर को यहोवा के नाम से जानने लगे, यही से यहूदी धर्म की स्थापना मानी जाती है। इसी क्रम में 1500 वर्ष ईसा पूर्व मुसा हुए, मुसा को यहूदी-धर्म का पैगम्बर और संस्थापक माना गया।
इसी क्रम में 1200 वर्ष ईसा पूर्व में महात्मा जरथुष्ट्र द्वारा पारसी धर्म सम्प्रदाय की स्थापना की गई। 599 वर्ष ईसा पूर्व जब महावीर द्वारा कर्मभूमि पर सत्कर्म और सेवा रूपी अहिंसावादी मानव-धर्म की प्रभावना की गई तो धर्म के नाम पर जैन संप्रदाय का उदय हुआ। 563 वर्ष ईसा पूर्व में बुद्ध द्वारा भी धरती पर सत्कर्म और सेवा रूपी अहिंसावादी मानव-धर्म की प्रभावना करने से बुद्धिष्ट सम्प्रदाय का उदय हुआ।
लगभग 2000 वर्ष पूर्व यहुदी धर्म सम्प्रदाय के लोगों के बीच धार्मिक भेदभाव होने के कारण दो नए सम्प्रदाय बन गए ईसाई और इस्लाम। ईसा की प्रथम सदी लगभग 2000 वर्ष पूर्व यीशु मसीह द्वारा इब्राहिमी धर्म पर आधारित ईसाई धर्म सम्प्रदाय का उदय हुआ। इसके बाद 7वी सदी में लगभग 1400 वर्ष पूर्व पैंगम्बर मोहम्मद साहब द्वारा स्थापित इस्लाम धर्म का उदय हुआ। इसके बाद 15वी सदी में लगभग 500 वर्ष पूर्व गुरूनानक द्वारा सिख धर्म सम्प्रदाय का उदय हुआ।
सनातन धर्म में कुछ लोगों द्वारा अनेक प्रकार के देवी-देवताओ को भगवान मानकर पूजा करने लगे एवं धर्म के नाम पर अनेक प्रकार की रुढ़िवादियों को मानने लगे, जिसके कारण कर्मभूमि पर मात्र 2000 वर्ष में तीन नए धर्म सम्प्रदाय का उदय हुआ, जिसमें ईसाई विश्व में सबसे ज्यादा माना जाने वाला धर्म-संप्रदाय बन गया| इसके बाद इस्लाम दूसरे नंबर पर आ गया और सनातन धर्म जो कभी विश्व धर्म था आज वो तीसरे नंबर पर आ गया| ईसाई और इस्लाम धर्म संप्रदाय में हिंसा और कट्टरवादिता होने के कारण दोनों एक ईश्वरवादी बेहतरीन धर्म होकर भी विश्व धर्म बनने से वंचित रह गये|
कर्मभूमि पर मानव-धर्म के नाम पर अनेक प्रकार के धर्म-सम्प्रदाय बन जाने के कारण विश्व मानव परिवार के बीच नफरत की दीवारे खड़ी हो गयी, जिसके कारण धरती पर धर्म के प्रति ग्लानी बढने लगी| टूट गई है माला मोती बिखर गए, इन बिखरे हुए मोतियों को हम युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से पुनः जोड़ने आए है। इसलिए हम ईश्वरीय संदेशानुसार अपनी अंतःप्रेरणा से अपने विश्व मानव परिवार को पुनः जोड़ने के लिए, कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, अपनी कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, विश्व के सभी धर्म-संप्रदाय को जोड़कर जाति, धर्म-संप्रदाय, धर्मग्रंथ व धार्मिक स्थल रहित एक नवीन विश्व-धर्म – कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना करने के बाद आप लोगों के बीच सत्कर्म और सेवा रूपी सतयुगी मानव धर्म की प्रभावना करने आये है|
धरती पर छाया है अंधियारा, कोई उपाय करो तो बात बने| हम आये है आपके पास, आप हमें साथ दो तो बात बने||
सम्पूर्ण मानव जगत के सत्कर्म व निष्काम कर्म ही कर्मभूमि पर कलयुग को सतयुग में परिणित कर सतयुगी दुनिया का सृजन कर सकते हैं। अपनी कर्मभूमि पर सतयुगी दूनिया का सृजन करने के लिए, अपनी धरती को अविनाशी स्वर्ग बनाने के लिए युगानुसार सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को असत्य का त्यागकर सत्यवादी बनना होगा| ईश्वरीय संदेशानुसार एक को जानो एक को मानों कर्मभूमि पर अपना व अपनों का मानव जीवन सार्थक बनाओं।