अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक ब्रह्म ही परम सत्य है, उसे विदित किये बिना इस संसार से कर्मयोगी के लिए मुक्ति का और कोई उपाय नही है | ज्ञात रहे कर्मभूमि को बनकर अरबों वर्ष बीत गये और कर्मभूमि पर वर्तमान मानव प्रजाति का जन्म होकर भी लाखों वर्ष बीत गये, किन्तु आज के विकसित मानव जगत का वर्तमान कलेंडर 2024 वर्ष की गणना कर रहा है और कर्मभूमि पर पाप का बोझ बढ़ जाने के कारण एक बार फिर से महाविनाश की संभावनाएं नजर आ रही है | ज्ञात रहे सम्पूर्ण मानव जगत के सत्कर्म ही कर्मभूमि को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बना सकते है |
ज्ञात रहे कर्मभूमि पर वर्तमान समय कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय चल रहा है | कर्मभूमि पर तीव्र गति से होने वाले उच्च कोटि के विकास को देखते हुए, हम वर्तमान समय को युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय कह सकते है| आज के विकास के युग में मानव चेतना की जो मिसाल कायम हो रही है, उसे देखते हुए 21वी सदी में प्रवेश करने के लिए सबसे पहले, सबसे बड़े, सबसे महत्वपूर्ण जिस बदलाव की जरुरत है वो है सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के मन मस्तिष्क में युगानुसार धार्मिक सोच में बदलाव, वरना पाप के कारण कर्मभूमि पर 21वी सदी से पहले मानव जाति का नामों निशान मिट सकता है|
युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को परम सत्यवादी सत्कर्मी निष्काम कर्मयोगी बनकर धर्म के नाम पर सारी रुढ़िवादियों को, हिंसक प्रवृतियों को, जाति-सम्प्रदायवाद को त्यागना होगा| ज्ञात रहे कर्मभूमि पर जब-जब धर्म के प्रति ग्लानी बढती है, दिव्य महाशक्ति निर्गुण परमब्रह्म सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को कर्म करने का ज्ञान देने के लिए, कर्मभूमि पर किसी न किसी निष्काम कर्मयोगी के तन का सहारा लेकर अवतरित होते है और कर्मभूमि पर उस कर्मयोगी के माध्यम से धर्म की पुनः स्थापना व प्रभावना करवाते है| कर्मभूमि पर ईश्वरीय अवतरण की इस क्रिया को आध्यात्मिक ज्ञानानुसार परकाय प्रवेश भी कहते है| ज्ञात रहे कर्मभूमि पर अजन्में, निष्कलंक, निराकार, परमब्रह्म का जन्म-मरण नहीं किसी निष्काम कर्मयोगी के ह्रदय में ज्ञान व आत्मशक्ति स्वरूप भव्य अवतरण होता है|
यदा यदा ही धर्मस्य, ग्लानिभर्वति भारत,
अभ्युत्थानाम धर्मस्य, तदात्मानम सृजाम्यहम,
परित्राणाय साधूनां, विनाशाय च दुष्कृताम,
धर्म संस्थापनार्थाय, संभवामी युगे युगे|
सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के लिए अपार हर्ष का विषय है, कर्मभूमि पर वर्तमान समय युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग का समय चल रहा है, आज के विकास के युग में कर्मभूमि पर पूर्ण प्रमाण के साथ उस दिव्य महाशक्ति का अवतरण कल्कि ज्ञान सागर के रूप में हो चूका है, जिसका सम्पूर्ण मानव जगत को बड़ी बे सबरी से इंतजार था| विज्ञान भी इस दिव्य महाशक्ति परमब्रह्म के सामने नतमस्तक होगा|
21वी सदी में प्रवेश करने से पहले सम्पूर्ण मानव जगत के लोग विज्ञान आधारित सत्कर्म और सेवा रूपी कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का पालन करेंगे| 21वी सदी से पहले कर्मभूमि पर धर्म के नाम पर रुढ़िवादी प्रवृतियां और हिंसा मिटेगी| सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के ह्रदय में देवत्व व दिव्यता जागृत होकर ईश्वर व अवतारवाद की धारणाएं मिट जाएगी| सम्पूर्ण विश्व में एक ही धर्म होगा, सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों में प्रेम-भाईचारे की भावना जागृत होगी, कर्मभूमि पर देश- विदेश की सीमाएं मिटेगी| सम्पूर्ण मानव जगत के लोग सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म का पालन करेंगे, जिससे कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन होगा, हमारी कर्मभूमि अविनाशी स्वर्ग बनेगी व भारत पुनः विश्व धर्म गुरु बनेगा| सत्कर्मी बनों सुखी रहो|