कर्मभूमि पर विश्व मानव परिवार के बीच नफरतें पैदा होने का सबसे मुख्य कारण है, कर्मभूमि पर मानव धर्म के नाम पर अनेक प्रकार के धार्मिक स्थल,धर्म ग्रन्थ और संत-समाज का होना। कर्मभूमि पर अपने विश्व मानव परिवार के बीच धार्मिक भेदभाव को मिटाने के लिए, मानव जगत को अनेक प्रकार के धार्मिक स्थलों व धर्म ग्रंथों से, ईश्वर व अवतारवाद जैसी धारणाओं से मुक्त करवाने के लिए, मानव को कर्तव्य का पाठ पढाने के लिए, मानव को कर्म करने का ज्ञान देने के लिए, कर्मभूमि के आध्यात्मिक खंड भारत की पावन भूमि पर राजस्थान प्रान्त में लोढ़ी काशी व वागड़ अंचल के नाम से विख्यात बांसवाडा-डूंगरपुर जिले में नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना हो चुकी है|
कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए सम्पूर्ण मानव जगत को ईश्वरीय आदेश का पालन करना होगा, सम्पूर्ण मानव जगत के बीच धार्मिक भेदभाव मिटाकर, विश्व मानव परिवार के लोगों के ह्रदय में प्रेम भाईचारे की भावना जागृत करनी होगी, वरना धरती पर पाप का बोझ बढने के कारण महाविनाश में मानव का नामों निशान मिट सकता है। यह मानव जगत के हाथो में है, मानव चाहे तो नफरतों को मिटा दे और चाहे खुद को। ईश्वर इंसान को कर्म करने का ज्ञान दे सकता है, किसी भी इंसान से निर्धारित कर्म नहीं करवा सकता। जैसी करनी वैसी भरनी कर्मफल का अटल सिद्धान्त है। सत्कर्मी निष्काम कर्मयोगी बनों कर्मभूमि पर अपना मानव जीवन सार्थक बनाओ।