कर्मभूमि पर सगुण निष्काम कर्मयोगी को भगवान कहते है, निर्गुण ब्रह्म को नहीं…

एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक परमब्रह्म ही परम सत्य है, उसको विदित किये बिना मानव के लिए इस नश्वर संसार से मुक्ति का और कोई उपाय नहीं है| किन्तु ज्ञात रहे एक ही ब्रह्म के दो स्वरूप दो चरित्र है, निर्गुण स्वरूप में जो एक है वही सगुण स्वरूप में सृष्टि के विस्तार के लिए अनेक मायावी रूप धारण किये हुए है| सृष्टि के सभी देवी-देवतामानव निर्गुण ईश्वर का मायावी सगुण स्वरूप है, इसलिए सृष्टि में देवी-देवतामानव कालग से कोई अस्तित्व नहीं है|

मानव जगत के लोग एक ही निर्गुण, निष्कलंक, निराकार, अजन्मा, अनामी ब्रह्म को अल्लाह, ईश्वर, प्रभु, परमेश्वर, गॉड जैसे और भी कई अलग-अलग नामों से जानते, मानते, पुकारते है| सनातन धर्म सम्प्रदाय के लोग निर्गुण ईश्वर के सगुण स्वरूप को भगवान मानते है|

सनातन धर्म के लोग भक्ति मार्ग में ईश्वर के सगुण स्वरूप को भगवान मानकर परब्रह्म के प्रतिक शिवलिंग के साथ ही अनेक प्रकार के देवी-देवताओ व कर्मभूमि पर होने वाले अवतारी महापुरुषों की पूजा करते है, जबकि सृष्टि में अनेक प्रकार के देवी-देवता व कर्मभूमि पर अवतरित होने वाले सभी अवतारी महापुरुष व मानव-मात्र एक ही सगुण परब्रह्म के अनेक मायावी रूप है| अतः मानव को भक्ति मार्ग में सिर्फ परब्रह्म के प्रतिक शिवलिंग की पूजा एवं साधना निर्गुण परमब्रह्म की करना चाहिए| कर्मभूमि पर एक को जानो, एक को मानो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओ|

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