कर्मभूमि पर ईश्वर का जन्म-मरण नहीं किसी निष्काम कर्मयोगी के ह्रदय में अवतरण होता है…

निर्गुण ईश्वर निष्कलंक निराकार अजर-अमर, अविनाशी ,अनादी, अजन्मा, गुण-दोष, रहित है, उसके जैसा न कोई था, न कोई है, और नहीं कभी कोई होगा| ईश्वर एक है किन्तु उसके दो स्वरूप दो चरित्र है, निर्गुण व सगुण| निर्गुण आत्मस्वरूप ईश्वर अजर-अमर, अविनाशी है सगुण जीवात्मस्वरूप ईश्वर अविनाशी किन्तु परिवर्तनशील है| मानव जगत के लोग निर्गुण ब्रह्म को आत्मस्वरूप सगुण परब्रह्म को जीवात्मस्वरूप मान सकते है|

कर्मभूमि पर जब कोई कर्मयोगी विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बन जाता है, तब उस निष्काम कर्मयोगी मनुष्यरूपी जीवात्मा के भीतर सगुण परब्रह्म का अवतरण होता है, उसके बाद उस सगुण परब्रह्म स्वरूप मनुष्यरूपी जीवात्मा के भीतर निर्गुण परमब्रह्म का ज्ञान एवं आत्मशक्ति स्वरूप अवतरण हो जाता है| अतः सगुण परमात्मा परब्रह्म को मानव जगत के लोग अवतार  निर्गुण परमब्रह्म को ईश्वर मान सकते है| कर्मभूमि पर जब किसी निष्काम कर्मयोगी के भीतर निर्गुण आत्मा के स्वामी निर्गुण परमब्रह्मसगुण जीवात्मा के स्वामी सगुण परब्रह्म का एकाकार हो जाता है, इसी क्रिया को कर्मभूमि पर ईश्वर का प्राकटय होना कहते है| 

अवतार व ईश्वर का प्राकटय मानव तन के भीतर होता है, उसे भौतिक दृष्टि से नहीं दिव्य दृष्टि से देखा समझा जा सकता है| ईश्वर व अवतार का कर्मभूमि पर जन्म-मरण नहीं किसी निष्काम कर्मयोगी के ह्रदय में ज्ञान व आत्मशक्ति स्वरूप भव्य अवतरण होता है| निर्गुण व सगुण, ईश्वर और अवतार एक ही सिक्के के दो पहलु है, जो कर्मभूमि पर मानव के भीतर आत्मस्वरुपता मे परम गुरुवर व जीवात्मस्वरुप में जन्मदाता, पालनहार के रूप में सेवक बनकर विद्यमान रहते है| सर्व जगत के उस परम हितेषी दिव्य महाशक्ति को अल्लाह, ईश्वर, प्रभु, परमेश्वर, खुदा, गॉड नाम देकर उससे डरने की, उसके नाम पर जाति संप्रदाय बनाकर आपस में लड़ने की क्या जरुरत है| कल्कि ज्ञान सागर 21वी सदी में सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो को ईश्वर व अवतारवाद की धारणाओं से मुक्त करवा देगा|

आज सम्पूर्ण मानव जगत को अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञान की जरुरत है, जिससे मानव जगत के लोग अपने स्वयं के सत्य स्वरूप को अपने स्वयं के विराट आत्मस्वरूप को अपने भीतर विधमान विशाल ईश्वरीय वैभव को जान सके, कर्मभूमि पर मानव-मात्र आत्मज्ञानी बनकर अपना मानव जीवन सार्थक बना सके|

Related Posts

WhatsApp WhatsApp us