ईश्वर मानव निर्मित मूर्ति में नही स्वयं द्वारा सृजित मानव के ह्रदय में निवास करता है वो बाहर कहीं नहीं मिल सकता…

अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार, कर्मभूमि पर मानव सगुण परमात्मा परब्रह्म की सर्वश्रेष्ठ कृति, सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, जिसके भीतर तीन-लोक की दिव्य शक्तियां ईश्वरीय वैभव विधमान है| इसलिए कर्मभूमि पर मानव के भौतिक शरीर को चलता-फिरता पावन तीर्थ स्थल माना गया है जिसके भीतर ईश्वर स्वयं निर्गुण आत्मस्वरूप सगुण जीवात्मस्वरूप में विद्यमान रहते है|

मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है, मानव-मात्र के भीतर सत-असत की जंग चल रही है, इस जंग में ईश्वर स्वयं सगुण परब्रह्म स्वरूप मनुष्यरूपी जीवात्मा के रूप में अर्जुन स्वरूप कर्मयोगी बने हुए है| वही ईश्वर निर्गुण आत्मस्वरूप में कर्मयोगी का गुरु बनकर कर्मयोगी को कर्म करने का ज्ञान देते है, अतः ईश्वर के निर्गुण स्वरूप को कृष्ण स्वरूप कह सकते है|  

एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक ब्रह्म ही परम सत्य है, उसे विदित किये बिना कर्मभूमि पर कर्मयोगी के लिए इस संसार से मुक्ति का और कोई उपाय नहीं है| यह भी परम सत्य है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक ब्रह्म के अलावा और दूसरा कोई भी नहीं है| 

अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार एक ही ब्रह्म के दो स्वरूप दो चरित्र है, प्रथम जो निर्गुण आत्मस्वरूप में परम सत्य, गुण-दोष, जन्म-मरण रहित, अनादी, अजर-अमर, अविनाशी है, वही सगुण जीवात्मस्वरूप में सत-असत अर्द्धनारीश्वर स्वरूप है| निर्गुण ब्रह्म की इच्छा शक्ति से प्रकट हुए  सगुण परब्रह्म स्वरूप को प्रभु से प्रकट हुई महामाया भी कहते है| जो सगुण स्वरूप में एक होकर भी सम्पूर्ण सृष्टि में अनेक मायावी रूप धारण कर रखे है| सम्पूर्ण सृष्टि में एक सगुण परब्रह्म के अलावा और कोई जीव-जीवात्मा नहीं है| अतः जो निर्गुण स्वरूप में एक है, वही सगुण स्वरूप में एक होकर भी अनेक रूप धारण किये हुए है, स्वयं ही कर्ता-भरता-हरता बने हुए है|

इस रहस्यमय खेल में एक को जानो एक को ही मानो, क्योंकि उसी निर्गुण ब्रह्म का सगुण स्वरूप परब्रह्म तुम स्वयं ही हो| सृष्टि में मानव का अलग से कोई अस्तित्व नही है| अपने स्वयं के विराट आत्मस्वरूप को जान लोगे तो ईश्वर को खोजने की जरुरत ही नहीं रहेगी, क्योंकि ईश्वर को खोजते खोजते जब ईश्वर आपको मिल जायेगा तो स्वतः ही आपका अपना अस्तित्व मिट जायेगा| आपके भीतर जब आपको दिव्य शक्ति का अहसास हो जायेगा तब आप मै से मुक्त हो जायेंगे, मै से मुक्त होने की इसी रहस्यमय क्रिया को कर्मभूमि पर जन्म-मरण से मुक्ति और मोक्ष कहा गया है|

रहस्यमय सृष्टि सृजन का रहस्यमय खेल स्वचालित है, आपके भीतर ईश्वर निर्गुण व सगुण दोनों स्वरूप में विधमान है| सत-असत का सारा खेल सृष्टि के सभी देवी-देवताओमानव-मात्र के भीतर चल रहा है, जो कभी किसी को नजर नहीं आता वो रहस्यमय जादूगर आपके भीतर ही छुपा है| वो अपना सारा कार्य आपके भीतर रहकर कर रहा है, उसे बाहर धार्मिक स्थलों में पाना संभव नहीं है| कर्मभूमि पर स्वयं के विराट आत्मस्वरूप को जानो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं|

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