ईश्वर ने मानव को सारे विकास धरती को स्वर्ग बनाने के लिए दिये है धरती पर मानव का नामों निशान मिटाने के लिए नहीं…….

ईश्वर ने मानव को कर्मभूमि पर आत्मकल्याण करने के लिए
        जन्म दिया है, कर्मभूमि का मालिक बनने के लिए नहीं         

तेरा मेरा बस तुम जानों, तुम शान भारत की क्या जानों,
जग जननी है भारत माता, यही सारे जग की माता है |
है विश्व धर्म गुरु विश्व तीर्थ ये, विश्व सारा यहाँ आता है,
युगो युगो से भारत माता का, धर्म अहिंसा से नाता है|

आध्यात्मिक ज्ञान और विज्ञान के अनुसार हमारी धरती को बनकर आज अरबो वर्ष बीत चुके है और कर्मभूमि पर मानव का जन्म होकर लाखों वर्ष बीत चुके है किन्तु हमारा वर्तमान कलेंडर आज भी वर्ष 2023 की गणना कर रहा है और मनुष्यों की अज्ञानतावश धरती पर फिर से महाविनाश की संभावनाएं नजर आने लगी है| पता नहीं हमारी धरती पर मानव जगत की अज्ञानतावश आज तक कितने महाविनाश हुए होंगे ये सिर्फ सुंदर सृष्टि के रचियता हमारे परम माता-पिता परमात्मा परब्रह्म ही जान सकते है|

ज्ञात रहे सदियो पहले मानव जगत के पूर्वजो ने अज्ञानतावश बहुत बड़ी भूल कर दी जिसकी सजा आज के मानव जगत के लोग भुगत रहे है| मानव जगत के पूर्वजो ने अज्ञानतावश सुंदर सृष्टि के रचियता अपने परम माता-पिता परमात्मा परब्रह्म को, अपने जन्मदाता, पालनहार को भगवान बना दिया और अपने हृदयस्त परम गुरुवर परमब्रह्म को ज्ञान के दातार को अल्लाह ईश्वर प्रभु परमेश्वर खुदा गॉड बना दिया| ज्ञात रहे जो अनादी, अजन्मा, निष्कलंक, निराकार ज्ञान व आत्मस्वरूप दिव्य शक्ति है उसका कोई साकार स्वरूप नहीं होता| जो साकार नहीं होता उसका कोई नाम नहीं होता, जिस निराकार परम महाशक्ति को आज तक किसी ने देखा ही नहीं, उसके सत्यस्वरूप को कोई जान न पाया उस निराकार परम दिव्य महाशक्ति को हर इंसान किसी न किसी रूप मे मानता जरूर है| उस परम महाशक्ति से पूरी दुनिया के लोग डरते है जबकि वो परम दयालु सृष्टि के सभी जीव-जीवात्माओं का परम हितेषी है सभी का भला ही करने वाला है बुरा नहीं, फिर उससे डरना क्यों और उसके नाम पर लड़ना क्यों ? मानव जगत के लोग उस महान निराकार परम गुरुवर परमब्रह्म के सत्य स्वरूप को नहीं जानकर आज के विकास के युग भी मानव जगत के लोग अज्ञानतावश धर्म और ईश्वर के नाम पर अनेक प्रकार के धार्मिक स्थल, धर्म ग्रंथ, जाति, पंत ,संत, संप्रदाय बनाकर आपस में लड़ रहे है जिस के कारण धरती पर धर्म के प्रति ग्लानि दिन-प्रतिदिन बड़ती जा रही है जिस से धरती पर पाप का बोझ भी बढता जा रहा है, बढते पाप के कारण धरती पर कभी भी महाविनाश हो सकता है और मनुष्यों का नामो निशान भी मिट सकता है| ज्ञात रहे महाविनाश होने के बाद जब सुन्दर सृष्टि के रचियता द्वारा सृष्टि का जब पुनः सृजन होता है तब मानव वही पहुँच जाता है जहां से चला था क्योंकि सम्पूर्ण मानव सभ्यता व सारे विकास मिट्टी में मिल जाते है|

मैं कल्कि साधक कैलाश मोहन धरती पर धर्म की रक्षा करने के लिए अपनी धरती माता को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बनाने के लिए अपने हृदयस्त परम गुरुवर परमब्रह्म से मिली अंतःप्रेरणानुसार मानव जगत के लोगों को कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से देवी-देवता तुल्य बनाकर मानव-मात्र के ह्रदय में देवत्व व दिव्यता जागृत कर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को ईश्वर और अवतारवाद की धारणाओं से मुक्त कराने आया हूँ| मैं मानव-मात्र को विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनाकर उनका मानव जीवन सार्थक बनाने आया हूँ| ज्ञात रहे धरती पर महाविनाश को अल्लाह-ईश्वर नहीं मनुष्यों के सत्कर्म ही टाल सकते है धर्म ही धरती को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बना सकता है| धरती पर विकास में हजारो वर्ष लग जाते है और महाविनाश के लिए कुछ ही पल काफी है, ईश्वर ने मनुष्यो को सारे विकास धरती को स्वर्ग बनाने के लिए दिये है, मानव जगत को मिट्टी में मिलने के लिए नहीं | हमारे परम गुरुवर परमब्रह्म ज्ञान और विज्ञान स्वरूप है ज्ञान और विज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू है आज के विकास के युग में धरती पर ईश्वरीय अवतरण भी विज्ञान के अनुसार ही निराकार ज्ञान स्वरूप हुआ है बाइबल, गीता समेत सभी धर्म ग्रंथो में की गई भविष्यवाणी के अनुसार विश्व विख्यात भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस समेत अनेक भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियो को साकार करते हुए पूर्ण प्रमाण के साथ दिव्य महाशक्ति का कर्मभूमि पर ज्ञानस्वरूप प्राकट्य हो चूका है| दिव्य महाशक्ति प्रभु परमब्रह्म कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से सम्पूर्ण मानव जगत को परम ज्ञानेश्वर बना देंगे|

मैं ईश्वरीय संदेशानुसार अपने हृदयस्त परम गुरुवर परमब्रह्म से मिली अंतःप्रेरणानुसार मानव जगत को बता देना चाहता हूँ की जिस परम दिव्य महाशक्ति को मानव जगत के लोग बाहर धार्मिक स्थलो मे ढूंढ रहे है वो अज्ञानतावश अपने आपको अपने अल्लाह ईश्वर प्रभु परमेश्वर से दूर कर रहे है क्योंकि निराकार परम गुरुवर परमब्रह्म सभी मनुष्यों के भीतर आत्मस्वरूपता में ज्ञानस्वरूप हृदयस्त विधमान है और सभी मनुष्य निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है मनुष्यों के लिए सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है और मानव धर्म ही धरती को महाविनाश से बचाकर अविनाशी स्वर्ग बना सकता है| जय अहिंसा ,ॐ विश्व शांति, सत्यमेव जयते |

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