अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार कर्मभूमि पर मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है, इसलिए मानव को परमात्मा स्वरूप कहा गया है, मानव को ईश्वर से ज्यादा स्वयं के सत्यस्वरूप को, स्वयं के विराट आत्मस्वरूप को, स्वयं के भीतर विद्यमान ईश्वरीय वैभव को जानने की जरुरत है|
आज के विकास के युग में, युग परिवर्तन की संधिवेला में, 21वी सदी में कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए सम्पूर्ण मानव जगत के लोगो को अपनी धार्मिक सोच को बदलना होगा| सदियों से मानव धर्म के नाम पर चली आ रही रुढ़िवादी परंपराओ को त्यागकर सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म को अपनाना होगा| मानव जगत के सत्कर्म ही कर्मभूमि पर कलयुग को सतयुग में परिणित कर सतयुगी दुनिया का सृजन कर सकते है|
अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार सृष्टि का छोटे से छोटा जीव परमात्मा परब्रह्म का मायावी रूप है, अतः छोटे से छोटे जीव की बेवजह हिंसा करना महापाप है| धर्म के नाम पर पशुओ की बली देना व जुबान के स्वाद के लिए जीवो की हिंसा करना भी महापाप है, इस पाप के कारण धरती पर पाप का बोझ बढ़कर एक दिन महाविनाश होकर कर्मभूमि पर मानव जाति का नामो निशान भी मिट सकता है| सृष्टि में सभी जीवो को समान रूप से जीने का अधिकार है|
मानव परमात्मा परब्रह्म की सर्वश्रेष्ठ कृति, सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, सृष्टि में सिर्फ मानव ही एक ऐसा प्राणी है जो अपने मन की बात जुबा से बोल कर दूसरों के सामने व्यक्त कर सकता है| सम्पूर्ण सृष्टि में मावन ही एक ऐसा प्राणी है जिसे प्रकृति और परमात्मा ने भोजन के लिए अनेक प्रकार के पकवान, मिष्ठान व फल दिए है, जबकि सृष्टि के अन्य सभी प्राणी प्रकृति से जो मिला उससे अपने पेट की भूख शांत कर धरती माता की गोद में सो जाते है, उन जीवों के लिए किसी प्रकार के सुख साधन नही होते और नहीं उनके जीवन का उनके लिए कोई महत्त्व होता है वो सिर्फ अपनी योनि भुगतने के लिए कर्मभूमि पर जन्म लेते है|
कल्कि ज्ञान सागर का सन्देश, पूरी धरती सबका देश, कर्मभूमि पर मानव का जन्म आत्मकल्याण के लिए हुआ है, धरती, धन-दोलत या किसी इन्सान का मालिक बनने के लिए नही| अतः मानव जगत के लोगो को कर्मभूमि पर देश-विदेश की सीमाओं को मिटाकर विश्व में शांति कायम करनी होगी, वरना पाप के कारण महाविनाश होकर मानव द्वारा किये गये सारे विकास मिट्टी में मिल सकते है, मानव जाति का नामो निशान भी मिट सकता है| अच्छा होगा इस महाविनाश से पहले मानव जगत के लोग सत्कर्मी बनकर अपनी धरती माता को महाविनाश से बचा ले| मानव जगत के सत्कर्म ही अपने परम माता-पिता परमात्मा सगुण परब्रह्म द्वारा रचित सुन्दर सृष्टि का सपना साकार कर सकते है| सत्कर्मी बनो सुखी रहो|