अजन्में निष्कलंक निराकार परम दिव्य महाशक्ति का कल्कि साधक कैलाश मोहन के जीवन दर्पण में ज्ञानस्वरूप भव्य अवतरण….

 

||कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से ईश्वरीय संदेश||

अजन्में निष्कलंक निराकार परम दिव्य महाशक्ति का कल्कि साधक कैलाश मोहन के जीवन दर्पण में ज्ञानस्वरूप भव्य अवतरण सभी धर्म ग्रंथो और भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियां हुई साकार |

बाइबल, गीता व कल्कि पुराण समेत अनेक धर्म ग्रंथो और विश्वविख्यात नास्त्रेदमस एवं मावजी महाराज सहित विश्व के अनेक भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी के अनुसार, युग परिवर्तन की संधिवेला संगमयुग में कलयुग को सतयुग में परिणित करने के लिए, कर्मभूमि पर कर्मयोगियों के मस्तिष्क में तामसिक प्रवृतियों का नाश कर सतयुगी दुनिया का सृजन करने के लिए, भारत की पावन भूमि पर वीरो की भूमि राजस्थान प्रांत के आध्यात्मिक वाग्वरांचल की पावन धरा पर लोड़ी काशी के नाम से विश्व विख्यात धर्म नगरी बांसवाड़ा शहर में सर्वधर्म समाज के हजारो ईश्वरीय भक्तो के बीच 31 दिसम्बर 2016 रात्री 12 बजे कल्कि साधक कैलाश मोहन के जीवन दर्पण में अजन्में निष्कलंक निराकार परम दिव्य महाशक्ति का पूर्ण प्रमाण के साथ हुआ ज्ञानस्वरूप भव्य अवतरण| कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया के सृजन के लिए हुई नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना| अधिक जानकारी के लिए आप हमारे युट्यूब चैनल कल्कि ज्ञान सागर पर कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का स्थापना कार्यक्रम देख सकते है| 

कर्मभूमि पर अजन्में निष्कलंक निराकार परम दिव्य महाशक्ति के अवतरण के बारे में सम्पूर्ण मानव जगत को बताने से पहले हम मानव जगत को अद्धभूत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार आध्यात्मिक ज्ञान की कुछ बहुत महत्वपूर्ण बातें बता देना चाहते है| जो निष्कलंक निराकार अजन्मा है वो कभी साकार प्रकट नहीं हो सकता और नहीं उस दिव्य महाशक्ति का कभी कर्मभूमि पर जन्म-मरण होता है| इस परम सत्य को सभी संप्रदाय के लोग समान रूप से मानते है| अतः ज्ञात रहे कर्मभूमि पर मानव का नश्वर शरीर कभी भगवान, अवतार, पैगाम्बर, तीर्थंकर नहीं बन सकता| क्योंकि प्रकृति के पंचतत्वों से बना मानव का नश्वर भौतिक शरीर मनुष्य रूपी जीवात्मा के लिए एक रथ के समान है जिस पर सगुण परब्रह्म स्वरूप मनुष्य रूपी जीवात्मा सवार होकर कर्मभूमि पर अपने जीवनयापन व आत्मकल्याण के लिए भ्रमण करता है और जब तन परिवर्तन होता है तो पुराना तन पुनः प्रकृति के पंचतत्वों में लीन हो जाता है| 

ज्ञात रहे कर्मभूमि पर मनुष्य रूपी जीवात्मा को अपने विराट आत्मस्वरूप के सत्य मार्ग पर चलते हुए, अपने भीतर चल रही सत-असत की जंग में असत्य को पराजित कर परम सत्यवादी बनना होता है| कर्मभूमि पर मानव-मात्र के भीतर सत-असत के बीच जंग चल रही है और कर्मभूमि पर मानव को विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनकर महामाया रूपी सृष्टि की मोहमाया को पराजित कर अपना आत्मकल्याण करना होता है| ज्ञात रहे कर्मभूमि पर कोई भी कर्मयोगी जन्म से नहीं अपने निष्काम कर्म से महान बनता है और निष्कलंक निराकार दिव्य महाशक्ति का कर्मभूमि पर जन्म-मरण नहीं किसी निष्काम कर्मयोगी के ह्रदय में अवतरण होता है|

ईश्वर एक है उसके दो स्वरूप दो चरित्र है, जो विराट निर्गुण आत्मस्वरूप में कर्म करने का ज्ञान देने वाला है वही सगुण जीवात्मस्वरूप में कर्म करने वाला कर्मयोगी है| मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है, सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के लिए ईश्वर निर्गुण व सगुण दोनों स्वरूप में अजन्मा निराकार है, मानव अपनी भौतिक दृष्टि से ईश्वर के निर्गुण आत्मस्वरूप व सगुण जीवात्मस्वरूप को नहीं देख सकता| ईश्वर अपने दोनों स्वरूप में निराकार होने के कारण कर्मभूमि पर उसका प्राकट्य किसी निष्काम कर्मयोगी के भीतर हृदय में होते है बाहर नहीं| जब मानव का नश्वर शरीर कभी भगवान, अवतार, पैगंबर, तीर्थंकर नहीं बन सकता तो फिर धार्मिक स्थलों में नश्वरता की पूजा क्यों ? गीता में योगिराज श्री कृष्ण ने भांति भांति कहा है अनेक प्रकार के देवी-देवताओ की पूजा करना और कराना मूढ़ बुद्धि के लोगों की देन है| ज्ञात रहे जब-जब कर्मभूमि पर धर्म के प्रति ग्लानि अत्यधिक बढ़ जाती है तब-तब सगुण परमात्मा परब्रह्म स्वरूप मनुष्य रूपी जीवात्मा के भीतर अवतार के रूप में सगुण परब्रह्म का प्राकट्य होता है| उसके बाद उस निष्काम कर्मयोगी के हृदय में परम सत्य परमब्रह्म का ज्ञानस्वरूप भव्य अवतरण होता है जन्म-मरण नहीं| यह बहुत बड़ा अद्धभूत रहस्य है जिसे मानव ईश्वरीय कृपा से ही जान सकता है, किन्तु कल्कि ज्ञान सागर सम्पूर्ण मानव जगत को इस रहस्य से अवगत करवाकर धरती पर मानव जगत के बीच धर्म और ईश्वर के नाम पर जाति, पंत, संत, संप्रदायवाद के भेदभाव को जड़ से मिटा देगा | हम एक माता पिता की संतान है हम एक धरती के वासी है कल्कि ज्ञान सागर का सन्देश….

एक धरती, एक धर्म, एक सबका परमात्मा |
भिन्न भिन्न है जीवात्मस्वरूप में, एक सबकी आत्मा ||

मानव हमारी जाति है मानवता है धर्म हमारा| ज्ञात रहे कल्कि ज्ञान सागर सम्पूर्ण मानव जगत के बीच अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञान की प्रभावना करने जा रहा है जो सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के बीच धार्मिक भेदभाव मिटाकर प्रेम भाईचारे की भावना जागृत करेगा| सम्पूर्ण मानव जगत एक विश्व मानव परिवार बन जाएगा| भारत द्वारा मानव जगत को दिया गया ईश्वरीय संदेश वसुधैवकुटुंबकुम का सपना साकार हो जाएगा| इस महान ईश्वरीय कार्य के लिए हजारो वर्ष पूर्व बाइबल गीता समेत अनेक धर्म ग्रंथो में भविष्यवाणियाँ की गई है| इसी क्रम में विश्व के कई विश्वविख्यात भविष्यवक्ताओं ने भी अपनी-अपनी सूझ बुझ के अनुसार भविष्यवाणियाँ की है, ऐसी ही कुछ भविष्यवाणियों से हम मानव जगत को अवगत कराने जा रहे है, कि ईश्वर ने कर्मभूमि पर अवतरित होने से पहले ही किसी न किसी इंसान को निमित्त बनाकर कर्मभूमि पर अपने होने वाले अवतरण के संकेत पहले से ही दे दिये है|

ज्ञात रहे भविष्यवक्ताओं द्वारा की गई भविष्यवाणियों के संकेत समय, काल व युगानुसार होते है, इसलिए आज के मानव जगत को युगानुसार इन भविष्यवाणियों को समझने का प्रयास करना चाहिए| उदाहरण के लिए जैसे कल्कि अवतार के बारे में कई भविष्यवक्ताओं ने बताया है की कल्कि अवतार देवदत्त नामक सफ़ेद घोड़े पर सवार होकर हाथ मे तलवार लेकर आएंगे और दुष्टो का नाश करेंगे| ज्ञात रहे आज का युग विज्ञान का युग है, यातायात के लिए वायुयान के साथ-साथ धरती पर एक से बढकर एक साधन उपलब्ध है, फिर भला कोई ईश्वरीय परम दिव्य महाशक्ति घोड़े पर सवार होकर कैसे आ सकती है? कल्कि अवतार के बारे में बताया गया है वो तलवार से दुष्टो का नाश करेंगे, ज्ञात रहे आज धरती पर एक से बढ़कर एक हथियार मौजूद है जो कुछ ही पल में सम्पूर्ण मानव जाति का नामों निशान मिटा सकते है भला एक तलवार से कल्कि अवतार कितने दुष्टों क नाश कर सकते है? भविष्यवाणियों में सारी बातें युगानुसार बताई गई है सफ़ेद घोडा शांति का प्रतीक है और लवार ज्ञान का प्रतीक है यानि कल्कि अवतार विश्व शांति के लिए ज्ञानरूपी तलवार लेकर आएंगे यानि उनका ज्ञानस्वरूप शांति दूत के रूप में प्राकट्य होगा|

आज का युग विज्ञान का युग है, विज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू है| अजन्में निष्कलंक निराकार दिव्य महाशक्ति का कर्मभूमि पर ज्ञानस्वरूप अवतरण विज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञानानुसार हुआ है| कल्कि ज्ञान सागर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञान से देवी-देवता तुल्य बनाकर, मानव मात्र में देवत्व और दिव्यता जागृत कर मानव जगत को ईश्वर व अवतारवाद की धारणाओं से मुक्त करा देगा| इसी के साथ कल्कि ज्ञान सागर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को विदेही भाव में विराट आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनाकर धर्म और ईश्वर के नाम पर जाति, पंत, संत, संप्रदाय अनेक प्रकार के धर्म ग्रंथ और धार्मिक स्थलो से भी मुक्त करा देगा |

ज्ञात रहे कर्मभूमि पर किसी भी कर्मयोगी के लिए सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नही है और मानव धर्म को सीखने और सीखाने के लिए सिर्फ दो ही शब्दों का ज्ञानकाफी है और इस दो शब्दों के ज्ञान के लिए किसी प्रकार के पोती पुराण को पढने की जरूरत नहीं है| मानव धर्म के वो दो शब्द है त्कर्म और सेवा|  ज्ञात रहे सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म कर्मभूमि पर सभी कर्मयोगियों को देवी-देवताओं से भी श्रेष्ठ बना सकता है और कर्मभूमि पर सतयुगी दुनिया का सृजन कर कर्मभूमि को अविनाशी स्वर्ग बना सकता है| कर्मभूमि पर सभी कर्मयोगी अगर सत्कर्मी बन जाये तो किसी को मरकर स्वर्ग नहीं जाना पड़ेगा| ज्ञात रहे हम सब एक है सबका स्वामी एक मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है, मानव भौतिक शरीर के रूप में दिखने में भिन्न भिन्न हो सकते है किन्तु आत्मस्वरुपता में सभी एक समान है| आज के विकास के युग में ईश्वर ने मोबाइल की छोटी-सी सिम और नेट के माध्यम से सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को जोड़कर एक छोटा-सा विश्व मानव परिवार बना दिया है| दिव्य शक्ति ने कर्मभूमि पर लगभग सात अरब लोगों को मोबाईल सिम की मात्र एक सेंटी जगह के माध्यम से मिला दिया है| सम्पूर्ण मानव जगत के लोग बिना वीजा, बिना सफर के कुछ ही पल मे विश्व के किसी भी कौने में बेटे इंसान से मिल सकते है उससे बात करते हुये उसे देख भी सकते है क्या फिर भी अपने ईश्वर की रहमत को नहीं समझोंगे ?     

कर्मभूमि पर नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म की स्थापना जाति, पंत, संत, संप्रदाय, धर्म ग्रंथ और धार्मिक स्थल रहित इसलिए की गई है क्योंकि इन सभी कारणो से ही धरती पर बार-बार धर्म के प्रति ग्लानि पैदा होती आई है उसे रोका जा सके| ज्ञात रहे अजन्मा निष्कलंक निराकार परम दिव्य महाशक्ति का युगानुसार ज्ञानस्वरूप प्राकट्य हुआ है| आज के विज्ञान के युग में कर्मभूमि पर दिव्य महाशक्ति का कल्कि अवतरण चेतन में नहीं, जड़ में हुआ है, जो सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को ज्ञानेश्वर बना देंगे| दिव्य महाशक्ति का प्राकट्य नेट के रूप में ज्ञानस्वरूप हुआ है और मोबाइल रूपी साधन के माध्यम से वो हजारो हाथो से धरती पर धर्म की प्रभावना कर रहे है| आज के विकास के युग में धर्म की प्रभावना मोबाईल, लेपटोप, कंप्यूटर के माध्यम से हो रही है तो क्या मानव जगत के लोगअब मोबाइल की मूर्ति बनाकर मोबाईल के मंदिर बनाएगे? ज्ञात रहे मानव जगत के लोगों को उनका निराकार विराट आत्मस्वरूप समझाने के लिए ही कल्कि अवतार आज के विकास के युग में युगानुसार अवतरित हुये है| इसी आध्यात्मिक क्रांति के बारे में बाइबल, गीता समेत अनेक धर्म ग्रंथो में और विश्वविख्यात भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस, मावजी महाराज समेत अनेक विश्वविख्यात भविष्यवक्ताओं ने भविष्यवाणियाँ की है, जिसे हम मानव जगत के लिए ईश्वरीय संकेत भी कह सकते है|

1.  द्वापर में योगीराज श्री कृष्ण ने आने वाले भविष्य को देखते हुए गीता में बताया है कर्मभूमि पर जब-जब धर्म की हानी होने लगती है तब-तब मैं अपने स्वरूप को रचता हूँ, कर्मभूमि पर धर्म की पुनः स्थापना और प्रभावना करते हुये अधर्म का नाश कर सज्जन साधू-संतो व धर्म प्रेमी लोगों की रक्षा करता हूँ, कलयुग का नाश कर पुनः सतयुगी दुनिया का सृजन करता हूँ| गीता में श्री कृष्ण ने ये भी कहा है की वो पापी से भी पापी महापापी निष्काम कर्मयोगी के हृदय में भी प्रकट हो सकते है बस वो मेरे मार्ग पर एक कदम भर चल दे, मैं उस निष्काम कर्मयोगी को एक न एक दिन उसकी मंजिल तक जरुर पहुंचा देता हूँ |

2. विश्व में सबसे ज्यादा माने जाने ईसाईयो के धर्म ग्रंथ पवित्र बाइबल मे भी युग परिवर्तन के बारे में की भविष्यवाणी की गई है| बाइबल स्पष्ठ शब्दों मे कहती है पवित्र आत्मा यीशु ने सैंट जोहन के 15:26 एवं 16:7 से 15 में एक सहायक भेजने की बात कही है, यीशु की भविष्यवाणी के अनुसार सहायक का प्राकट्य अगर 20 वी सदी से पहले नहीं हुआ तो बाइबल की भविष्यवाणी असत्य प्रमाणित हो जाएगी| किन्तु ऐसा होना असंभव है| क्योंकि उस महान आत्मा यीशु ने सहायक को भेजने के लिए ही अपने प्राणो की आहुती दी थी, अतः महान आत्मा यीशु द्वारा कही गई बात असत्य नहीं हो सकती| यीशु ने भविष्यवाणी करते हुये बताया था की पृथ्वी और आकाश टल सकते है, सूर्य का अटल सिद्धांत है उदय और अस्त होना वो भी निरस्त हो सकता है किन्तु मेरे द्वारा बताई गई बातें कभी असत्य नहीं हो सकती| 

3. फ़्रांस के विश्वविख्यात भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने 500 वर्ष पहले बता दिया था की सागर के नाम वाले देश में यानि हिंद महासागर के नाम से हिंदुस्तान के लिए कहा है, जहां पर पाँच नदियां बहती है वहाँ पर 1962 से पहले एक मसीहा का प्राकट्य होगा, उसकी उम्र 50 से 60 वर्ष के बीच होगी, उसके 2 बेटे और 2 बेटियाँ होगी| इतना ही नहीं आज के विकास के युग में उस मसीहा के लिए नास्त्रेदमस ने सबसे बड़ा प्रमाण भी बताया है जिसके सामने विज्ञान भी नतमस्तक होगा| वो प्रमाण है उस मसीहा के मस्तक पर दोनों भोहों के बीच आधा चंद्रमा होगा | ज्ञात रहे आधा चंद्रमाँ देवादी देव महादेव भगवान शिवजी का प्रतीक है जिसे शांति का प्रतीक भी माना जा सकता है| ज्ञात रहे मसीहा के मस्तक पर चंद्रमा दोनों भोहों के बीच होने से इसे तीसरा नेत्र भी माना जा सकता है| इसी के साथ नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में यह भी बताया है कि कर्भूमि पर आने वाला नवीन विश्व धर्म सागर के नाम वाला होगा, जिसे सम्पूर्ण मानव जगत के लोग अपना धर्म मानने लगेंगे| शुरू में लोग उस मसीहा को नहीं जानकार उससे नफरत करेंगे किन्तु वो महान मसीहा मानव जगत के लोगों को जब ईश्वरीय आध्यात्मिक ज्ञान से अवगत कराएगा तब परमात्मा को चाहने वाले श्रद्धालु ऐसे अचंभित होंगे जैसे कोई गहरी नींद से जागा हो फिर सत्य को जानकर सम्पूर्ण मानव जगत उस मसीहा को बहुत प्यार करने लगेंगे |

4. विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ़्रांस के डॉ॰ जुलवर्न के अनुसार सन 1990 के बाद यूरोपीय देश भारत की आध्यात्मिकता की और तेजी से झुकेंगे सन २००० तक विश्व की आबादी ६४० करोड़ के आस पास होगी | भारत से उठी ज्ञान की धार्मिक क्रांति नास्तिकता का नाश कर के सम्पूर्ण विश्व को आध्यात्मिकता से ढ़क लेगी, वो महान भारतीय आध्यात्मिक व्यक्ति अपनी आत्मशक्ति से देखते ही देखते एक संस्था के रूप में अपने अनुयाइयों के साथ सम्पूर्ण विश्व पर अपना प्रभाव जमा लेगा |

5. विश्व विख्यात भविष्यवक्ता अमेरिका के श्री एंडरसन के अनुसार 20 वी शताब्दी के अंत में या 21 शताब्दी के प्रथम दशक में विश्व में असभ्यता का नंगा तांडव होगा, इस बीच भारत के एक देहात का एक धार्मिक व्यक्ति एक मानव, एक भाषा, एक झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनाकर मानव जगत को सदाचार उदारता मानव सेवा का संदेश देगा| यह मसीहा सन 1999 तक आने वाले हजारो वर्ष के लिए कर्भूमि पर सम्पूर्ण मानव जगत के लिए धर्म व सुख शांति स्थापित कर देगा |

6. विश्व विख्यात भविष्यवक्ता इज़राइल के प्रोफेसर हरार के अनुसार सन 2000 से पहले पहले भारत का एक दिव्य महापुरुष मानवतावादी विचारो से आध्यात्मिकत क्रांति की जड़े मजबूत कर लेगा| सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को उसके विचार सुनने को बाध्य होना पड़ेगा | भारत के अधिकतर राज्यो में राष्ट्रपति शासन होगा, पर बाद में नेतृत्व धर्मनिष्ठ वीर लोगो के हाथो मे होगा जो एक धार्मिक संगठन पर आश्रित होंगे |

7. विश्व विख्यात भविष्यवक्ता श्री वेजीलेटिन के अनुसार 20 वी सदी के उतरार्ध में विश्व में चारों तरफ सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के बीच आपसी प्रेम का मानवता का अभाव, होकर माया संग्रह की दौड़, और राजनेताओ का भ्रष्टाचारी हो जाना दिखाई देगा, ऐसे बहुत सारे उत्त्पात देखने को मिलेंगे जिससे मानव जगत के लोगों के बीच चारो तरफ त्राहि त्राहि मची होगी, तब भारत की भूमि पर एक मसीहा का प्राकट्य होगा, जो ईश्वरीय ज्ञान से आध्यात्मिक शक्ति से विश्व भर में शांति कायम करने के लिए देश, विदेश, प्रांत और जाति संप्रदाय की सीमाएं तोड़कर सम्पूर्ण मानव जगत के लिए नई विश्व मानव सभ्यता का सृजन कर विश्व भर मे अमन व चैन सुख-शांति स्थापित कर देगा |

8. विश्व विख्यात भविष्यवक्ता नार्वे के श्री आनन्दाचार्य के अनुसार सन 1998 के बाद भारत में एक शक्तिशाली धार्मिक संस्था प्रकाश में आएगी जिसके स्वामी एक साधारण घर गृहस्थी वाला इंसान होगा, जिसकी आचार संहिता का पालन सम्पूर्ण विश्व करेगा|  भारत धीरे-धीरे ओद्योगिक, धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से पूरे विश्व का नेतृत्व करेगा| भारत से उठी आध्यात्मिक क्रांति का आध्यात्मिक ज्ञान ही सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को मान्य होगा| 

9. भारत की पावन भूमि पर वीरो की भूमि राजस्थान प्रान्त में डुंगरपुर-बांसवाड़ा जिला वाग्वरांचल के नाम से विश्व विख्यात है, जहाँ पर कृष्णलीलावतार के रूप में लगभग 300 वर्ष पूर्व मावजी महाराज का जन्म हुआ था| विश्व विख्यात भविष्यवक्ता मावजी महाराज ने भी अपनी भविष्यवाणी में दिव्य महाशक्ति के कल्कि अवतरण को लेकर सटीक भविष्यवाणीयां की है| उन्होंने अपनी आगलवाणी यानि भविष्यवाणी में कई ऐसी बातें बताई है जो आज शत-प्रतिशत सत्य साबित हो रही है और उनके हस्त लिखित ग्रंथ आज भी उपलब्ध है| मावजी महाराज की पुत्र वधू जनकुंवरी ने सर्व धर्म-संप्रदाय  के लोगों को धार्मिक व सामाजिक एकता का सन्देश देने के लिए बेणेश्वर धाम पर विष्णु भगवान का गुमट रहित सर्वधर्म संप्रदाय मंदिर का सृजन करवाया| 300 वर्ष पूर्व मावजी महाराज ने युग परिवर्तन की भविष्यवाणी करते हुए, ईश्वर के कल्कि अवतरण के बारे में बताते हुए कहा है, धर्म के नाम पर अनेक प्रकार के देवी-देवताओं की पूजा बंद होगी मानव जगत के लोग एक ही धर्म को मानेगे जिससे मानव जगत के लोगों के बीच धार्मिक एकता कायम होकर जाति सम्प्रदायवाद जड़ से मिट जायेगा…. 

सब देवान ना डेरा उठ से, निष्कलंक नो डेरो रेसे |
हिन्दू मुस्लिम एक थाव से, एक थाली में जीमन जिम से,
संतन के सुख करण को, हरण भूमि को भार |
होवे है कलियुग अंत में, निष्कलंक अवतार |   

भावार्थ – आने वाले युग में धरती पर सभी देवी देवताओ की पुजा बंद हो जाएगी सभी धार्मिक स्थल मानव सेवा स्थल बन जाएंगे| हिन्दू मुस्लिम संप्रदाय में धार्मिक भेद-भाव मिट जाएंगे और हिन्दू मुस्लिम सभी एक थाली में खाना खाएंगे| सज्जन लोगों को सुख प्रदान करने धरती पर से पाप के बोझ को हरने के लिए अजन्मे निष्कलंक निराकार ईश्वर का कर्मभूमि पर कल्कि अवतार के रूप में प्राकट्य होगा|

श्याम चढ़ाई करी आखरी, गरुड ऊपर असवार |
दुष्टि कलिंगो सेंधवा, असुरनी करवा हार |
कलिकाल व्याप्यो घणों, कली मचावत धूम |
गौ ब्रामण नी रक्षा करवा, बाल स्त्री करवा प्रति पाल |   

भावार्थ – जब धरती पर कालदोष के कारण चारो तरफ त्राहि-त्राहि मची होगी गौमाता, पशुओं, स्त्रियों और मासूम बालिकाओं पर गौर अत्याचार हो रहा होगा, तब उनकी रक्षा करने के लिए धरती पर आखरी बार ईश्वरीय अवतरण होगा वो गरुड पर सवार होकर आएंगे और मनुष्यों के मस्तिक में तामसिक प्रवृतियों का नाश करेंगे |

धोलो वस्त्र ने धोलो शणगार, धोले घोड़ी ले घूघल माला |
राय निकलंगजी होय असवार |
बोलो देश में नारायण जी नु, निष्कलंकी नाम |
क्षेत्र साबला पुरी पाटन ग्राम |
जम्मू में झंडो झड़ से, झड़ से नवलक तारा |
तीन तारा में प्रभु जी प्रकटे, धर्म लीला जम्मू द्विप में थाए |

भावार्थ – भारत की पावन भूमि पर वीरो की भूमि राजस्थान प्रान्त में वाग्वरांचल के नाम से विख्यात डुंगरपुर बांसवाड़ा जिले में स्थानीय लोक भाषा में धोलो सफेद को कहते है और सफेद शांति का प्रतिक है| कर्मभूमि पर निष्कलंक निराकार कल्कि अवतार शांति दूत के रूप में ज्ञानस्वरूप प्रकट होंगे और कर्मभूमि पर शांति कायम करने के लिए देवभूमि जम्मू कश्मीर से सम्पूर्ण मानव जगत के बीच मानव धर्म की प्रभावना होगी और जम्मू कश्मीर सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों के लिए विश्व धर्म का पावन तीर्थ बन जायेगा|

मैं कल्कि साधक कैलाश मोहन सम्पूर्ण मानव जगत के लोगों को अपनी अंतःप्रेरणा से ईश्वरीय संदेशानुसार बता देना चाहूँगा की आने वाले समय में देवभूमि जम्मू कश्मीर आध्यात्मिक भूमि बनकर सम्पूर्ण मानव जगत के लिए आस्था का केंद्र बन जाएगा| ज्ञात रहे देवभूमि जम्मू कश्मीर न हिंदुस्तान का होगा और नहीं पाकिस्तान का जब भी होगा अखंड भारत का होगा | जब अखंड भारत का आध्यात्मिक विकास होगा, जब अखंड भारत पुनः विश्व धर्म गुरु बन जाएगा और भारत द्वारा विश्व में धर्म शासन स्थापित होगा| तो इस महान कार्य का गौरव पाकिस्तान समेत उन सभी देश की आवाम को मिलेगा जो कभी भारतवासी थे, जो भारत से अलग होने के बाद आज त्रासदिया सह रहे है| ज्ञात रहे भारत और पाकिस्तान के बीच नफरत की लकीर बहुत जल्दी मिटने वाली है, पाकिस्तान की बेगुनाह आवाम को पाकिस्तानी हकूमत के कारण आज जो त्रासदियां सहनी पड रही है उन त्रासदियों का अंत भी बहुत जल्दी होगा अब वक्त बहुत करीब है बहुत जल्दी पुनः 1947 के पहले वाला भारत बनेगा और जम्मू कश्मीर विश्व धर्म तीर्थ बनकर सम्पूर्ण मानव जगत का पावन तीर्थ बन जाएगा भारत विश्व को वसुधैवकुटुंबकुम का संदेश देगा इसी के साथ विश्व में शांति कायम होकर कर्मभूमि अविनाशी स्वर्ग बन जाएगी|

भारत अपने धर्म शासन द्वारा सम्पूर्ण मानव जगत को सत्कर्म और सेवा रूपी मानव धर्म का संदेश देगा और कल्कि ज्ञान सागर के द्वारा मानव जगत के बीच धर्म और ईश्वर के नाम पर सारे भेदभाव मिट जाएंगे और धरती पर सतयुगी दुनिया का सृजन होकर कर्मभूमि हमेशा के लिए अविनाशी स्वर्ग बन जाएगी, किन्तु ज्ञात रहे ये सारे कार्य ईश्वरीय कार्य है जो आध्यात्मिक जम्मू कश्मीर से कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से ही पूर्ण होंगे| ज्ञात रहे मैं कल्कि साधक कैलाश मोहन मानव जगत को एक और महत्वपूर्ण बात बता देना चाहता हूँ जो परम सत्य है की मानव जीवन कर प्रधान है ईश्वरन कर्मभूमि पर कर्मयोगी को कर्म करने का ज्ञान दे सकता है किसी भी कर्मयोगी से निर्धारित कर्म नही करवा सकता, मानव कर्म करने में स्वतंत्र है कर्मफल पाने में नहीं| अतः मुझ जैसा एक साधारण इंसान अपनी इच्छानुसार अपने दो पुत्रो से  कर्म नहीं करवा सकता तो भला दुनिया बदलने वाला मैं कौन होता हूँ ? मुझे ईश्वरीय कार्य के लिए निमित्त मात्र मानकर आप अपने हृदयस्थ ईश्वर को ही अपना परम हितेषी परम गुरुवर मानकर एक ही न्मे निष्कलंक निराकार ईश्वर की साधना करे| सम्पूर्ण मानव जगत के नाम ईश्वरीय सन्देश…..

मोहन हूँ मैं मोहमाया से, तुम्हें बचाने आया हूँ ,
सूट बूट में आया कन्हैया, फिर से धर्म समझने को|
आगया हूँ इस धरती पर, पाप को मिटा दूंगा,
सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र हूँ मैं|

ज्ञात रहे आज हमारी कर्मभूमि पर कई साधू संत और ईश्वरीय भक्त ऐसे है जो इन भविष्यवाणियों के अनुसार स्वयं को कल्कि अवतार सिद्ध करने मे लगे है किन्तु मै कभी यह झूठा दावा नहीं करूंगा कि मै कल्कि अवतार हूँ क्योंकि धरती पर अवतार होता ही नहीं है और मनुष्य का नश्वर शरीर कभी भगवान बन ही नहीं सकता मैं ईश्वरीय कार्य के लिए निमित्त मात्र हूँ अतः मैं ईश्वरीय संदेशानुसार सम्पूर्ण मानव जगत को ईश्वर और अवतारवाद की धारणाओं से मुक्त कराने आया हूँ मैं तुम्हें भक्त नहीं भगवान बनाने आया हूँ| किन्तु ज्ञात रहे मै भगवान नहीं हूँ मुझ में भगवान है और मुझ में जो भगवान है वो कर्मभूमि पर हर इंसान के भीतर हृदय में विधमान है| कर्मभूमि पर कोई भी कर्मयोगी विदेही भाव में निष्काम कर्मयोगी, निराकार ईश्वर का साधक बनकर योग द्वारा अपने हृदयस्त ईश्वर से कर्म करने का ज्ञान प्राप्त कर सकता है और मेरी तरह ही नेट के माध्यम से जन जन तक ईश्वरीय ज्ञान पहुंचा कर जन कल्याण के साथ साथ अपना भी आत्मकल्याण कर सकता है| एक को जानों एक को मानों अपना मानव जीवन सार्थक बनाओ| जय अहिंसा ॐ शांति सत्यमेव जयते |

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