भारत को पुनः विश्व धर्म गुरु बननें के लिए अपने देश में सुशासन स्थापित करना होगा….

जब से हमारा देश आजाद हुआ है, तब से अब तक भ्रष्ट प्रशासन के कई भ्रष्ट नेता हमारे देश को अंग्रेजो से भी ज्यादा लुटते रहे है, फिर भी हमारे देशवासी कुम्भकरण की नींद सोये हुए है| जिस दिन देश की युवा-शक्ति जागृत हो जायेगी, ये सारे लुटेरे नेता दुम दबाकर भागते नजर आयेंगे| आज हमारे देशवासी कमरतोड़ टेक्स अदा कर रहे है, फिर भी हमारे देश में सड़कें, शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, पानी जैसी महत्वपूर्ण सरकारी सेवाओं का नितांत अभाव है|

देश में भ्रष्टाचार के कारण जनता चाहकर भी अपने अधिकारों की रक्षा नहीं कर पाती है, चारो तरफ लुटमार, अत्याचार, दुष्टाचार, भ्रष्टाचार का बोल-बाला है, जनक्रांति ही इस महासमस्या का समाधान कर सकती है| जब तक हमारे देश में सुशासन स्थापित नहीं हो जाता, भारत की पावन भूमि पर सभी क़त्लखाने बंद नहीं हो जाते, तब तक हमारा भारत विश्व धर्म गुरु नहीं बन सकता|

इस महान कार्य के लिए भारतीय शासन प्रणाली में भारतीय संविधान में भी बड़ा बदलाव लाना होगा, एक देश एक सरकार की योजना बनाकर सभी राज्य सरकारे निरस्त करनी होगी,क्योंकि आज अधिकतर राज्य प्रशासन केंद्र सरकार का सहयोग नहीं करते, अपने प्रदेश को ही अपना देश मानते है, उन्हें सिर्फ अपने राज्य का विकास राज्य की कुर्सी चाहिए, राष्ट्र के विकास से उन्हें कोई लेना-देना नहीं|

हमें भारतीय संविधान में निष्काम कर्मयोगी सेवा-भावी नेताओ को लाना होगा, जो निस्वार्थ भाव से अपनी भारत माता की, अपने देशवासियों की सेवा कर सके| तनख्वा पेंशन की तो छोड़ो, वो अपने देशवासियों की सेवा के लिए अपने जेब का पैसा लगा सके| अपने देश में सुशासन स्थापित करने के लिए हमें लुटेरे नहीं सेवक चाहिए| इसी भावना के साथ अहिंसा परमोधर्म मानव सेवा संस्थान की राष्ट्रीय अहिंसा सेना अपने देश में बहुत जल्दी जन क्रांति का बिगुल बजाने वाली है|

भारत की पावन भूमि आज मांस की मंडी बन गई है जो देश कभी विश्व धर्म गुरु और आध्यात्मिक देश के नाम से जाना जाता था, आज वो प्रतिदिन हजारो निर्दोष पशुओ की हत्या करके विश्व में सबसे ज्यादा मांस निर्यात करने वाला देश बन गया है आखिर क्यों ? जो देश सम्पूर्ण मानव जगत को ईश्वरीय ज्ञान देता था, आज वो अपने विश्व मानव परिवार के भाई-बहनों को मांस खिलाकर उनमें तामसिक प्रवृतिया पैदा कर रहा है क्यों ? क्योंकि कालदोष के कारण सम्पूर्ण मानव जगत के लोग अज्ञानतावश धर्म के नाम पर अधर्म के मार्ग पर चल रहे है| निष्कलंक निराकार अजन्में अजर-अमर अविनाशी ईश्वर के नाम पर इन्सानो के नश्वर शरीर की पूजा कर रहे है|

निराकार परम गुरुवर परमब्रह्म का कल्कि ज्ञान सागर के माध्यम से संपूर्ण मानव जगत के नाम संदेश है की धरती का हर इंसान चलता फिरता तीर्थ है, चलता-फिरता धार्मिक स्थल है जिनके भीतर ईश्वर निर्गुण आत्मस्वरुपता व सगुण जीवात्मस्वरुपता में विधमान रहता है| निराकार, अविनाशी, अजन्मा ईश्वर मानव निर्मित धार्मिक स्थलो में पत्थरो की मूर्तियो में कभी नहीं मिल सकता|

मानव मात्र के लिए सत्कर्म और सेवा से बड़ा कोई मानव धर्म नहीं है| सेवा परमोधर्म, सेवा करनी है तो जिंदा इन्सानो की करो, बेसहारा अभावग्रस्त लोगों की करो ,बे जुबान असहाय जीव-जीवात्माओं की करो, बेजान पत्थरो की हरगिज नहीं| तुम धर्म कमाने के लिए जितना धन धार्मिक स्थलो में जाकर खर्च कर रहे हो, वो कुछ चंद लोगो की कमाई बन जाता है और तुम्हारा समय और धन दोनों व्यर्थ चला जाता है, क्योंकि तुम अपने हृदयस्त साथी को अपने प्रभु को अपने परम हितेषी परम गुरुवर प्रभु परमब्रह्म को बाहर ढूंढ रहे हो यही आज के विकास के युग में मानव की सबसे बड़ी भूल है| आत्मज्ञानी बनो अपना मानव जीवन सार्थक बनाओ| 

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